CTET Level -2 (09 June 2024)
Question 1:
Students learn effectively when the teacher:
विद्यार्थी प्रभावी तरीके से तब सीखते हैं जब शिक्षकः
Question 2:
'In what ways is a permanent and regular job different from a casual job. Discuss'.
This question attempts to address students ability to _______.
किन-किन तरीकों से स्थायी एवं नियमित नौकरी, अनियमित नौकरी से भिन्न हैं? चर्चा कीजिए ।
यह प्रश्न विद्यार्थियों की ________करने की योग्यता को संबोधित करने का प्रयास कर रहा है?
Question 3:
Read the following statements-
निम्नलिखित कथनों को पढ़िये-
Statement (A): The respiratory rate of aquatic organisms is faster than that of terrestrial organisms.
कथन (A): जलीय जीवों की श्वसन दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है।
Reason (R): The amount of oxygen dissolved in water is very less as compared to the amount of oxygen in air.
कारण (R): जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है।
Select the correct answer using the code given below-
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये-
Question 4:
निदानात्मक परीक्षण किनके लिए प्रयुक्त किए जाते हैं?
Question 5:
Which of the following statement is not a characteristic of a democratic classroom?
निम्न में से कौन - सा कथन लोकतांत्रिक कक्षाकक्ष की विशेषता नहीं हैं?
Question 6:
4 horses are tied with ropes at the four corners of a square ground of side 40 feet in such a way that they can only touch each other. Find the percentage of area not touched by the horses. (Consider 22/7 = 3.14)
4 घोड़ों को 40 फीट की भुजा वाले वर्गाकार मैदान के चारों कोनों में रस्सी से इस प्रकार बाँधा गया है कि वे एक दूसरे को केवल छू सकें । घोड़ों द्वारा स्पर्श न किए गए क्षेत्रफल का प्रतिशत ज्ञात करें। (22/7 = 3.14 पर विचार करें )
Question 7:
निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
कई दिनों तक परिश्रमपूर्वक खोजने के बाद भी जीवक को ऐसी कोई वनस्पति प्राप्त नहीं हुई जिसमे औषधीय गुण न हों। वह तक्षशिला विश्वविद्यालय के विशाल परिसर के बाहर दूर-दूर तक जाकर ढूँढ़ चुका था, अनेक अज्ञात वनस्पतियों का परीक्षण भी कर चुका था पर उसे सफलता हाथ नहीं लगी। अंततः उसे खाली हाथ आचार्य के पास लौटना पड़ा। लौटते हुए वह विचार कर रहा था। आचार्य से अपनी असफलता बताकर क्या उत्तीर्ण हुआ जा सकता है? नहीं। उसे अभी और परिश्रम करना पड़ेगा। उसकी शिक्षा अधूरी है। उसने धरती माता के वात्सल्य का अनुभव किया था । प्राणियों के पोषण और रक्षण के लिए प्रकृति द्वारा दिए गए वरदानों से वह परिचित हुआ था। उसके मन मे यह बात कचोट रही थी कि प्रकृति से इतनी अमूल्य जैव - संपदा पाकर हम कृतज्ञ क्यों नहीं होते? कितने जड़मति हैं वे लोग जो इसे नष्ट करते हैं।
'जैव - संपदा' का समास विग्रह है।
Question 8:
जब एक अध्यापक भाषा पढ़ाने के लिए विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के पाठों का उपयोग करता है, यह उपागम क्या कहलाएगा?
Question 9:
Consider the following statements with reference to parenchyma-
पैरेन्काइमा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पैरेन्काइमा ऊतक भोजन का भंडारण करते हैं। Parenchyma tissues store food.
2. क्लोरेन्काइमा ऊतक पौधों को तैरने के लिये उत्प्लावन बल प्रदान करते हैं। Chlorenchyma tissues provide buoyancy force to plants for floating.
3. ऐरेन्काइमा ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिये उत्तरदायी ऊतक हैं। Aerenchyma tissues are the tissues responsible for photosynthesis.
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?Which of the statements given above is/are not correct?
Question 10:
अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेभ्यः उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-
एकः धार्मिकः सत्सङ्गानुरागी राजा आसीत् । सः दूर- दूरात् सांधून् महात्मनः आहूय तेभ्यः ज्ञानोपदेशं शृणोति तानि धनादि-प्रदानेन सम्मानयति स्म ।
एकदा एकः महात्मा ततः दान दक्षिणाम् आदाय परावर्तमानः कैश्चित् दस्युभिः दृष्टिः । ते दस्यवः तस्य साधोः हस्तौ कर्तयित्वा दान-दक्षिणाम् अच्छिद्य च पलायितवन्तः।
कतिपय मासान्तरं सः एव महात्मा राज्ञा पुनरपि भगवच्चर्चायै आहूतः । अस्मिन् वारे दस्तवः अति साधु- वेषं धृत्वा तस्मिन् राजकीये सत्सङ्गे समुपस्थिताः । तान् दृष्ट्वा कृत्त - हस्तः महात्मा राजानं कथितवान् "महाराज! इमे साधवः मम ज्ञानिनः सुहृदः सन्ति । इमे अवश्यं सम्माननीयाः । " राजा तान् अपूजयतु, एकां बृहत धन-पेटिकां च तेषाम् आवासे प्रापयितुं स्वकीयम् एकं कर्मचारिणं प्रेषितवान् ।
मार्गे कर्मचारी तान् साधून् अपृच्छत् - "कथ्यताम् महात्मा कथं जनाति? कथम् असौ भवद्भ्यः इदं धनम् अदापयत् ?'' साधवः उदतरन् -" सः मृत्युमुखे आसीत्। वयम् एव तं मृत्योः अमोचयाम । हस्तौ एक तस्य कर्त्तितौ अभवताम् । अतः एव उपकारकान् अस्मान् सः महाराजेन सममानयत्। "
पृथ्वी माता तेषाम् इमां निराधार वार्त्ता न असहत । सा व्यदीर्यत । तत्र एवं ते व्यलीयन्त । विस्मितः कर्मचारी राजानम् उपगत्य सर्वां घटनाम् अश्रावयत् । कृत्त- हस्तः महात्मा अपि तदा तत्र एव आसीत् । सः अपि तैः साधुभिः सह दुर्घटितां घटनाम् आकर्ण्य अतीव दुःखितः अभवत्, उच्चैः उच्चैः रोदितुं प्रावर्त्तत च ।
किन्तु आश्चर्यं ! महत् आश्चर्यम् !! तदा एवं सः महात्मा पुनः उत्पन्न - हस्तः अजायत । राजा तद् एतद् दृष्ट्वा रहस्यम् एतस्य कथयितुं महात्मानं प्रार्थितवान् । महात्मा अकथयत्- "राजन् ! सत्यम् एव ते साधवः मम सुहृदः सन्ति । भवद्भ्यः धन-ग्रहीतारौ हस्तौ छित्वा ते माम् उपकृतवन्तः एव । किन्तु भगवत्कृपया तो पुनर् अपिंत उत्पन्नौ । भम एव कारणने ते पृथिव्यां व्यलीयन्त । मम एव कारणेन तेषां सुहृदां वियोगेन अहम् इदानीं भृशं दुःखी सञ्चातः विलयामि च " इति ।
गद्यांशे क्त्वाप्रत्ययान्तं पदं किम् ?