CTET Level -2 (09 June 2024)
Question 1:
Procedural knowledge in the teaching-learning grammar is ___________.
Question 2:
In middle school classroom teachers should focus on encouraging students to set:
मध्य विद्यालय कक्षा में छात्रों को सेट करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिए :-
Question 3:
कश्चिद् अध्यापकः 'नगरीकरणस्य कारणात् प्रदूषणम्" इत्यस्मिन् विषये विचारोत्तेजनं कर्तुं कथयति । अत्र विचारोत्तेजस्य कोऽर्थः ।
Question 4:
Read the following and choose correct option
निम्न कथनों को पढ़िये और सही विकल्प का चुनाव करिए-
S1- Children's ideas about a science content are often domain specific and may be conflicting
S1- विज्ञान की संकल्पनाओं के सन्दर्भ में बच्चों के विचार प्रायः प्रकरण विशिष्ट होते हैं और विरोधाभासी भी हो सकते हैं।
S2- Children's alternate conceptions in science demonstrate liner reasoning from cause to effect
S2 - विज्ञान में बच्चों की वैकल्पिक संकल्पनाएँ कार्य से कारण तक एक रेखीय विवेचन दर्शाती हैं।
Question 5:
One can use the word CE (Common Era) in place of ........
सी. ई. (कॉमन एरा) शब्द का प्रयोग _______के स्थान पर किया जा सकता है।
Question 6:
निर्देश : निम्नलिखितं गद्यांश पठित्वा प्रश्नानां यथोचितं विकल्पं चित्वा उत्तराणि देयानि ।
तदत्रास्ति विष्णुशर्मा नाम ब्राह्मणः सकलशास्त्रपारङ्गमश्छात्रसंसदिलब्धकीर्तिः तस्मै समर्पयतु एतान् । स नूनं द्राक् प्रबुद्धान् करिष्यति" इति । स राजा तदाकर्ण्य विष्णुशर्माणमाहूय प्रोवाच - "भो भगवान्। मदनुग्रहार्थमेतान् अर्थशास्त्रं प्रति द्राग्यथा अनन्यसदृशान् विदधासि तथा कुरु । तदा अहं त्वां शासनशतेन योजयिष्यामि " । अथ विष्णुशर्मा तं राजानमूचे - "देव ! श्रूयतां मे तथ्यवचनम्। नाहं विद्याविक्रयं शासनशतेनापि करोमि । पुनरेतांस्तव पुत्रान् मासषट्केन यदि नीतिशास्त्रज्ञान् न करोमि ततः स्वनामत्यागं करोमि । किं बहुना, श्रूयतां ममैष सिंहनादः नाहमर्थनिप्सुर्ब्रवीमि । ममाशीतिवर्षस्य व्यावृत्तसवेंन्द्रियार्थस्य न किञ्चदर्थेन प्रयोजनं किन्तु त्वत्प्रार्थनासिद्धयर्थं सरस्वतीविनोदं करिष्यामि । तल्लिख्यतामद्यतनो दिवसः यदि अहं षण्मासाभ्यन्तरे तव पुत्रान् नयशास्त्रं प्रति अनन्यसदृशान् न करिष्यामि ततो नार्हति देवो देवमार्गं सन्दर्शयितुम्" । अथासौ राजा तां ब्राह्मणस्यासंभव्यां प्रतिज्ञां श्रुत्वा ससचिवः प्रहष्टो विस्मयान्वितः तस्मै सादरं तान् कुमारान् समर्प्य परां निर्वृतिमाजगाम । विष्णुशर्मणापि तानादाय तदर्थं मित्रभेद- मित्रप्राप्ति - काकोलुकीय - लब्धप्रणाश-
अपरीक्षितकारकाणि चेति पञ्च तन्त्राणि रचयित्वा पाठितास्ते राजपुत्राः । तेऽपि तानि अधीत्य मासषट्केन यथोक्ताः संवृत्ताः । ततः प्रभृति एतत्पञ्चतन्त्रकं नाम नीतिशास्त्रं बालावबोधनार्थं भूतले प्रवृत्तम्।
राजा स्वपुत्रान् किं शास्त्रं पाठयितुं प्रार्थयत् ?
Question 7:
Consider the following statements-
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. गुरुत्वीय बल पृथ्वी के केंद्र से दूरी बढ़ने पर बढ़ता है परंतु ध्रुवों से विषुवत् वृत्त की ओर घटता है। Gravitational force increases with increasing distance from the centre of the earth but decreases from the poles towards the equator.
2. किसी वस्तु का द्रव्यमान पृथ्वी पर या अन्य ग्रह पर भी उतना ही रहता है परंतु भार स्थान के साथ परिवर्तित हो सकता है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? The mass of an object remains the same on earth or on any other planet but the weight may change with place. Which of the above statements is/are correct?
Question 8:
In the Direct method, teachers are:
Question 9:
'In what ways is a permanent and regular job different from a casual job. Discuss'.
This question attempts to address students ability to _______.
किन-किन तरीकों से स्थायी एवं नियमित नौकरी, अनियमित नौकरी से भिन्न हैं? चर्चा कीजिए ।
यह प्रश्न विद्यार्थियों की ________करने की योग्यता को संबोधित करने का प्रयास कर रहा है?
Question 10:
निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
कई दिनों तक परिश्रमपूर्वक खोजने के बाद भी जीवक को ऐसी कोई वनस्पति प्राप्त नहीं हुई जिसमे औषधीय गुण न हों। वह तक्षशिला विश्वविद्यालय के विशाल परिसर के बाहर दूर-दूर तक जाकर ढूँढ़ चुका था, अनेक अज्ञात वनस्पतियों का परीक्षण भी कर चुका था पर उसे सफलता हाथ नहीं लगी। अंततः उसे खाली हाथ आचार्य के पास लौटना पड़ा। लौटते हुए वह विचार कर रहा था। आचार्य से अपनी असफलता बताकर क्या उत्तीर्ण हुआ जा सकता है? नहीं। उसे अभी और परिश्रम करना पड़ेगा। उसकी शिक्षा अधूरी है। उसने धरती माता के वात्सल्य का अनुभव किया था । प्राणियों के पोषण और रक्षण के लिए प्रकृति द्वारा दिए गए वरदानों से वह परिचित हुआ था। उसके मन मे यह बात कचोट रही थी कि प्रकृति से इतनी अमूल्य जैव - संपदा पाकर हम कृतज्ञ क्यों नहीं होते? कितने जड़मति हैं वे लोग जो इसे नष्ट करते हैं।
'जैव - संपदा' का समास विग्रह है।