पाठ्यसामग्री में से समग्र अर्थ प्राप्त करने के लिए पठन
लेखक की मंशा जानने के लिए पठन
पाठ्यसामग्री से आगे का पठन
पाठ्य सामग्री में से समग्र अर्थ प्राप्त करने के लिए सरसरी तौर पर पठन किया जाता है।
शरसरी तौर पर किसी पाठ को पढ़कर / देखकर उसकी विषयवस्तु का पता कर लेना पढ़ने की एक महत्वपूर्ण कुशलता है ।
यह विषयवस्तु के सार को समझने में सहायक होती है। इसका उपयोग प्रायः बच्चे परीक्षा के पूर्व करते है, जहाँ वह पाठ को सरसरी निगाह से देखकर उसके विषय-वस्तु को स्मरण करने की कोशिश करते है, इसे अवलोकन भी कहा जाता है ।
अद्यापि भारतीयाः नदीनां सम्मानं कुर्वन्ति । अर्थात् आज भी भारतीय लोग (भारतवासी) नदियों का सम्मान करते हैं ।
Question 3:
भाषायाः प्रकृतेः विषये, भाषाशिक्षणस्य प्रकृतेः विषये, 157 बालशिक्षा व्यवस्थानां उभयोश्च प्रायोकिताविषये ये सिद्धान्ता: विश्वासाश्च सन्ति, ते किं कथ्यन्ते?
विषयवस्तु (Content)
क्रियाविधिः (Technique)
पाठ्यक्रमः (Syllabus)
उपागमः (Approach)
भाषायाः प्रकृतेः विषये, भाषाशिक्षणस्य प्रकृतेः विषये, बालशिक्षा व्यवस्थायां उभयोश्च प्रायोगिकताविषये ये सिद्धान्ताः विश्वासाश्च सन्ति, ते 'उपागमः' कथ्यते। बाल शिक्षा प्रणाली में भाषा की प्रकृति, भाषा सीखने की प्रकृति और दोनों की व्यावहारिकता के बारे में सिद्धांतों और मान्यताओं को 'दृष्टिकोण' कहा जाता है।
Question 4:
Assessment should not be undertaken :
मूल्यांकन किस उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए ?
To inclucate competitive psirit among children / बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करने।
To find out the readiness levels levels of children / बच्चों की तैयारी के स्तर का पता लगाने
To help understand what the child can do / समझने में मदद करने के लिए बच्चा क्या कर सकता है।
To identify gaps in children's conceptual understanding / बच्चों की अवधारणात्मक समझ में कमियों की पहचान करने।
मूल्यांकन के आधार पर पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों, सहायक सामग्री आदि में आवश्यक सुधार किया जा सकता है। मूल्यांकन कक्षा शिक्षण में सुधार लाता है। अध्यापक को अपनी कमी ज्ञात हो जाती है जिससे वह अपने शिक्षण को अधिक सुसंगठित बनाता है। मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को शैक्षिक के निम्न उद्देश्य होते हैं-
* छात्रों की असफलताओं के कारण पता करके सुधार करना ।
* शिक्षण की गुणात्मक सुधार के लिए अधिगम वातावरण में सुधार करना।
* समाज तथा अभिभावकों को जवाबदेही के लिए नियमित बच्चों की उपलब्धि एवं उन्नति का पता लगाना ।
* बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करना' मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य नहीं होता है। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार करना मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य होता है।
Question 5:
विकासस्य प्रमुखक्षेत्रे छात्रस्य प्रगतिं निरीक्षणाय, तस्य व्यवहारं कौशलानिपर्यवेक्षणाय च सतत - मूल्याङ्कनार्थम् - अधोलिखितेषु किं प्रयुज्यते ?
अर्थात् विकास के प्रमुखक्षेत्र में छात्र की प्रगति के निरीक्षण के लिए तथा उसके व्यवहार कौशल के पर्यवेक्षण के लिए निरन्तर मूल्याङ्कन में स्मरणार्थसूची प्रयुक्त है।
Question 6:
Which one of the following would be the best evidence to demonstrate to parents and administrators what students can do with language?
National curriculum and syllabi
Marks in a test.
Lists of course goals and objectives
Poems or paragraphs written by students
The best evidence to show to parents and administrators about student's ability in language is the Poems of paragraphs written by students.
Question 7:
Which of the following are key characteristics of Continuous and Comprehensive Evaluation?
निम्न में से कौन सतत् एवं समग्र मूल्यांकन के प्रमुख अभिलक्षण हैं?
(i) It's primary objective is to segregate and label childrens. / इसका प्राथमिक उद्देश्य विद्यार्थियों का पृथक्करण व नामीकरण है।
(ii) It provides opportunities for teachers to reflect their on pedagogy. / यह शिक्षकों को अपने शिक्षाशास्त्र पर मदद करने के अवसर देता है।
(iii) It incorporates assessment as a part of learning. / यह मूल्यांकन को सीखने का हिस्सा मानता है।
(iv) It helps to promote learning by inducing fear and anxiety. / यह डर और चिंता पैदा करके सीखने को बढ़ाता है।
(i), (ii), (iii) and (iv) / (i), (ii), (iii) और (iv)
(ii), (iii) and (iv) / (ii), (iii) और (iv)
(ii) and (iii)/ (ii) और (iii)
(i) and (ii) / (i) और (ii)
सतत् तथा समग्र मूल्यांकन से आशय छात्रों के विद्यालय आधारित मूल्यांकन की उस प्रणाली से है जिसमें छात्र के विकास के सभी पक्ष शामिल है। यह शिक्षकों को अपने शिक्षाशास्त्र पर मदद करने के अवसर देता है तथा मूल्यांकन को सीखने का हिस्सा मानता है। यह नियमित एवं निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं, जो कक्षा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के साथ-साथ चलती है अतः (ii) व (iii) सही है।
Question 8:
According to the NIPUN Bharat Mission, the broader aim of Foundational numeracy is
निपुण भारत मिशन के अनुसार, बुनियादी संख्या ज्ञान का मुख्य लक्ष्य है।
Development of mathematical thinking
गणितीय चिंतन का विकास
Doing measurement in daily life
दैनिक जीवन में मापन करना
Reading and writing numbers
संख्याओं को पढ़ना और लिखना :
Drawing shapes / आकृतियों का आरेखण
(NIPUN) निपुण भारत मिशन के अनुसार बुनियादी संख्या ज्ञान का मुख्य लक्ष्य गणितीय चिंतन का विकास करना है । ( NIPUN) का अर्थ (National Initiative for proficiency in reading with understanding and numeracy) संख्यात्मक ज्ञान के साथ पठन में विपुणता है ।
Question 9:
The ratio of the ages of Kamal and Kiran is 4 : 5. After 6 years Kamal's age will be 30 years. What is Kiran's present age?
कमल और किरण की आयु का अनुपात 4 : 5 है। 6 वर्ष बाद कमल की आयु 30 वर्ष होगी। किरण की वर्तमान आयु कितनी है?
28 वर्ष
24 वर्ष
40 वर्ष
30 वर्ष
कमल की आयु = 4x
किरण की आयु = 5x
कमल की आयु = 4x + 6 = 30
4x = 30 – 6
4x = 24
x = 6
किरन की वर्तमान आयु = 5x
= 5 × 6 = 30 वर्ष
Question 10:
Meaningful learning of students is NOT promoted by encouraging children for:
किन शैक्षिक परिणामों द्वारा छात्रों में सार्थक अधिगम को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता ?
Passive listening / निष्क्रिय सुनने के कौशल
Developing Metacognitive capabilities. / अधिसंज्ञानात्मक कौशलों का विकास
Discussion and debate / चर्चा और बहस
Exploration and experimentation / अन्वेषण और प्रयोग
निष्क्रिय सुनने के कौशल वे शैक्षिक हैं जिनके द्वारा छात्रों में सार्थक अधिगम को प्रोस्साहित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि निष्क्रिय श्रवण से अधिगम भी निष्क्रिय हो जाता है। और यह शिक्षण- अधिगम प्रक्रिया में अरूचि उत्पन करता हैं जबकि अन्वेषण और प्रयोग, अधिसंज्ञानात्मक कौशलों का विकास तथा चर्चा और बहस के द्वारा छात्रों | में सार्थक अधिगम को प्रोत्साहित किया जा सकता है।