CTET Level -1 (09 June 2024)

Question 1:

Direction: Read the given passage and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.

"Get well soon!" Shanta said, handing Partha a yellow balloon. She was his third visitor. That's because she was his class teacher's daughter, and her mother made her visit him. The other two, Rahul and Syed, weren't really his friend, although they often ganged up with him against other kids to take away their lunch pocket money. Partha knew he wouldn't have long to live. He could feel it, deep inside. Seeing his aunty crying after talking with the doctor confirmed it. His time had come. He didn't tell his visitors, though. They would either pity him, or be happy to get rid of him.

Once shanta left, he ripped a page off from his notebook and wrote-

"Dear God, I know I messed up and nobody likes me. Please give me a second chance. I can show you what a good friend I can be." 

He drew a map showing tile way from the school to the hospital, walked shakily to the window, and let the balloon fly away, carrying his message towards God.

The balloon was heading straight to a telephone pole, but a gentle breeze blew it away just in time. It crossed the park and disappeared out of view.

The next day, a body he had never met before came to visit him. "I find balloon," he said. "You are lonely?"

He just nodded, too startled to talk.

"I lonely too. My family come from Afghanistan and I no speak English good." He smiled. “I bring gift to you." He handed him a small bag of fruits. “I pray for friend, and God give me friend."

Normally, he would have made fun of his broken English and his long, baggy brown kurta, but he knew better. He smiled and offered him the first orange.

An antonym for the word 'shakily' in the passage is

  • unsteadily

  • firmly

  • unsure

  • rickety

Question 2:

Directions: Read the given passage carfully and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option?

The first thing which a scholar should bear in mind is that a book ought not to be read for mere amusement, and are not to be blamed for it; they are incapable of appreciating the deeper qualities that belong to a really great literature. But a young man who has passed through a course of University training should discipline himself at an early day never to read for mere amusement. And once the habit of discipline has been formed, he will find it impossible to read for mere amusement. He will then impatiently throw down any book from which he cannot obtain intellectual food, any book which does not make an appeal to the higher emotions and to his intellect. But on the other, the habit of reading for amusement becomes with thousands of people exactly the same kind of habit as wine-drinking to opium-smoking; it is like a narcotic, something that helps to pass the time, something that keeps up a perpetual condition of dreaming, something that eventually results in destroying all capacity for thought, giving exercise only to the surface parts of the mind and leaving the deeper springs of feelings and the higher faculties of perception unemployed.

The word 'narcotic' in the passage means:

  • great literature

  • cheap books

  • intellectual exercise

  • intoxicant

Question 3:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।

बात बीसवीं सदी की शुरुआत की है। दक्षिण भारत के एक विद्यालय में गणित की कक्षा चल रही थी । अध्यापक विद्यार्थियों को भाग देने की विधि समझा रहे थे । अध्यापक ने बताया, 'अगर चार आमों को चार बालकों में बाँटा जाए तो प्रत्येक को एक आम मिलेगा। इसी तरह से अगर दस आमों को दस व्यक्तियों में विभाजित किया जाए तो प्रत्येक को एक आम मिलेगा।' आगे वह बोले, ' अगर किसी संख्या का उसी संख्या से भाग किया जाए तो भागफल हमेश एक ही होता है।' कक्षा के एक मेधावी छात्र को इस सूत्र की गलती समझ में आ गई। उसने पूछा, "महोदय, अगर शून्य आमों को शून्य व्यक्तियों में बाँटा जाए, तो क्या प्रत्येक को एक आम मिलेगा ?" इस असाधारण प्रश्न को सुनते ही अध्यापक कुछ विचलित से हुए । वे डाँटकर बोले, "शून्य का कोई मान नहीं होता।" पर विद्यार्थी ने आत्मविश्वास के साथ कहा, "महोदय शून्य का मान होता है। अगर दो के दायीं ओर हम एक शून्य रख दें तो 20 हो जाता है । इसी में एक और शून्य बढ़ा दें तो 200 हो जाता है। यह विद्यार्थी आधुनिक युग में भारत का सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ कहलाया । "

'विद्यालय' का संधि - विच्छेद है।

  • विद्य + अलय

  • विद्या + आलय

  • विद्या + अलय

  • विद्य + आलय

Question 4:

तंत्रिका संबंधी विकार से हुई संज्ञानात्मक क्षति जिसमें शिक्षार्थी अक्षरों और शब्दों को पढ़ पाने और व्याख्या कर पाने में असमर्थ रहते हैं तथा एकसमान आकृति व ध्वनि से भ्रमित हो जाते हैं, इसे क्या कहा जाएगा ?

  • अधिगम भिन्नता

  • अधिगम शैली

  • अधिगम विकलांगता

  • अधिगम प्राथमिकता

Question 5: CTET Level -1 (09 June 2024) 1

  • b

  • d

  • c

  • a

Question 6:

The New Delhi-Howrah Rajdhani Express leaves New Delhi at 16 : 50 hours on 25th November 2022 and reaches Howrah at 12 : 05 hours on 26th November 2022. If the average speed of the train is 80km per hour, what is the distance between New Delhi and Howrah ?

नई दिल्ली-हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस 25 नवम्बर 2022 को 16 : 50 घंटे पर नई दिल्ली स्टेशन से चलती है और 26 नवम्बर 2022 को 12 : 05 घंटे पर हावड़ा पहुँचती है। यदि रेलगाड़ी की औसत चाल 80 कि.मी प्रति घंटा है, तो नई दिल्ली और हावड़ा के बीच की दूरी क्या होगी ? 

  • 1540 km 

  • 1532 km 

  • 1529 km 

  • 1552 km 

Question 7:

Enriching the curriculum for learners who are gifted and talented

  • give them leadership roles in class activities

  • promote them to a higher class so that they are exposed to a more difficult syllabus

  • increase complexity of curriculum for them to experience a wider variety of language and opportunities for creativity

  • introduce a foreign language

Question 8:

निर्देश:  अधोलिखितं गद्यांश पठित्वा तदाधारित प्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तर चिनुत ।

एक पिपीलिका आसीत् । एकदा आहारार्थं भ्रमन्ती सा कमपि आम्रस्य पादपं समारोहत् । वृक्षस्य शाखासु धावन्ती सा अकस्माद् अस्खलत्, अपतञ्च अधस्ताद् भरिते जलाशये । तस्मिन्नेव वृक्षे कस्यचित् कपोतस्य कुलायः अभवत् । स तत्र स्थितः जले निमज्जन्तीं पिपीलिकाम् अपश्यत । मृयमाणायां तस्यां पिपीलिकायां दयालुः स कपोतः शुष्कम् आम्रस्य दलमेकमपातयत् । तत् पत्रं जले अतरत् । पिपीलिका च तस्मिन्नारूढा सती स्वजीवितम् अरक्षत्, आविरकरोञ्च कृतज्ञातम् । ततः तौ मित्रे अभवताम् ।

ततः दिनेषु गच्छत्सु एकदा स कपोतः वृक्षस्य शाखायाम् एकाकी अतिष्ठत्, पिपीलिका च वृक्षस्य मूले स्वरूप बिलस्य द्वारि कर्मपरा अभवत् । तदैव कश्चिद् आगत्य कपोतं हन्तुं धनुषि वाणसन्धानम् । अकरोत्। पिपीलिका तमपश्यत् । सा धावन्ती व्याधस्य स्कन्धम् आरुह्य क्रोधेन तं तथा अदशत् यथा दंशपीडितः स व्याधः लक्ष्याद् अपाराध्यत् । धर्नुवक्रः शरश्च अन्यां दिशाम् अगच्छत् । तस्य शब्दं श्रुत्वा कपोतश्व उड्डीय वृक्षान्तरम् अयासीत्। एवं तौ विपदि परस्परं साहाय्यं कुर्वन्तौ चिरं सुखेन न्यवसताम् ।

जलाशये आम्रदलं कः अपातयत् ?

  • वानरः

  • कपोतः

  • सर्प

  • भल्लूकः

Question 9:

निर्देश:  अधोलिखितं गद्यांश पठित्वा तदाधारित प्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तर चिनुत ।

एक पिपीलिका आसीत् । एकदा आहारार्थं भ्रमन्ती सा कमपि आम्रस्य पादपं समारोहत् । वृक्षस्य शाखासु धावन्ती सा अकस्माद् अस्खलत्, अपतञ्च अधस्ताद् भरिते जलाशये । तस्मिन्नेव वृक्षे कस्यचित् कपोतस्य कुलायः अभवत् । स तत्र स्थितः जले निमज्जन्तीं पिपीलिकाम् अपश्यत । मृयमाणायां तस्यां पिपीलिकायां दयालुः स कपोतः शुष्कम् आम्रस्य दलमेकमपातयत् । तत् पत्रं जले अतरत् । पिपीलिका च तस्मिन्नारूढा सती स्वजीवितम् अरक्षत्, आविरकरोञ्च कृतज्ञातम् । ततः तौ मित्रे अभवताम् ।

ततः दिनेषु गच्छत्सु एकदा स कपोतः वृक्षस्य शाखायाम् एकाकी अतिष्ठत्, पिपीलिका च वृक्षस्य मूले स्वरूप बिलस्य द्वारि कर्मपरा अभवत् । तदैव कश्चिद् आगत्य कपोतं हन्तुं धनुषि वाणसन्धानम् । अकरोत्। पिपीलिका तमपश्यत् । सा धावन्ती व्याधस्य स्कन्धम् आरुह्य क्रोधेन तं तथा अदशत् यथा दंशपीडितः स व्याधः लक्ष्याद् अपाराध्यत् । धर्नुवक्रः शरश्च अन्यां दिशाम् अगच्छत् । तस्य शब्दं श्रुत्वा कपोतश्व उड्डीय वृक्षान्तरम् अयासीत्। एवं तौ विपदि परस्परं साहाय्यं कुर्वन्तौ चिरं सुखेन न्यवसताम् ।

'धावन्ती' इति पदे प्रयुक्तं कृदन्तप्रत्ययं चित्वा लिखत

  • क्त्

  • शतृ

  • शानच्

  • ल्यप्

Question 10:

निर्देश:  अधोलिखितं गद्यांश पठित्वा तदाधारित प्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तर चिनुत ।

एक पिपीलिका आसीत् । एकदा आहारार्थं भ्रमन्ती सा कमपि आम्रस्य पादपं समारोहत् । वृक्षस्य शाखासु धावन्ती सा अकस्माद् अस्खलत्, अपतञ्च अधस्ताद् भरिते जलाशये । तस्मिन्नेव वृक्षे कस्यचित् कपोतस्य कुलायः अभवत् । स तत्र स्थितः जले निमज्जन्तीं पिपीलिकाम् अपश्यत । मृयमाणायां तस्यां पिपीलिकायां दयालुः स कपोतः शुष्कम् आम्रस्य दलमेकमपातयत् । तत् पत्रं जले अतरत् । पिपीलिका च तस्मिन्नारूढा सती स्वजीवितम् अरक्षत्, आविरकरोञ्च कृतज्ञातम् । ततः तौ मित्रे अभवताम् ।

ततः दिनेषु गच्छत्सु एकदा स कपोतः वृक्षस्य शाखायाम् एकाकी अतिष्ठत्, पिपीलिका च वृक्षस्य मूले स्वरूप बिलस्य द्वारि कर्मपरा अभवत् । तदैव कश्चिद् आगत्य कपोतं हन्तुं धनुषि वाणसन्धानम् । अकरोत्। पिपीलिका तमपश्यत् । सा धावन्ती व्याधस्य स्कन्धम् आरुह्य क्रोधेन तं तथा अदशत् यथा दंशपीडितः स व्याधः लक्ष्याद् अपाराध्यत् । धर्नुवक्रः शरश्च अन्यां दिशाम् अगच्छत् । तस्य शब्दं श्रुत्वा कपोतश्व उड्डीय वृक्षान्तरम् अयासीत्। एवं तौ विपदि परस्परं साहाय्यं कुर्वन्तौ चिरं सुखेन न्यवसताम् ।

व्याधं कः अदशत् ?

  • कपोतः

  • पिपीलिका

  • मूषकः

  • शशक

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