Here is a list of tasks commonly included in a language classroom. Which of these sees children as active learners?
Children carefully memorise correct answers to questions on a poem.
Children work in groups to generate interpretations of a poem.
Children carefully note down answer from the blackboard.
Children write answer to questions given at the
end of a poem.
Children become active learners in a language class when they work in groups to generate various interpretations of a poem. Hence option (a)
Question 2:
स्वनिम विज्ञान जागरुकता के तीन चरण कौन-से हैं?
ध्वनियाँ, स्वरमान (पिंच), सुर-तान
अक्षर, शब्द वाक्य
अक्षर, तुकबन्दी, स्वनिम
गहराई, गति, तुकबन्दी
स्वनिम विज्ञान जागरुकता के तीन प्रमुख चरण निम्न है - अक्षर, तुकबंदी और स्वनिम ।
ध्वनि विज्ञान की जिस शाखा में किसी भाषा विशेष के स्वनिमों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है, उसे 'स्वनिम विज्ञान' कहते है स्वनिम शब्द संस्कृत के 'स्वन' धातु से बना है जिसका अर्थ ध्वनि करना । स्वनिम दो प्रकार के होते है-
(1) खंड्यस्वनिम
(2) खंड्येतर स्वनिम
Question 3:
Meaningful learning of students is NOT promoted by encouraging children for:
किन शैक्षिक परिणामों द्वारा छात्रों में सार्थक अधिगम को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता ?
Developing Metacognitive capabilities. / अधिसंज्ञानात्मक कौशलों का विकास
Passive listening / निष्क्रिय सुनने के कौशल
Exploration and experimentation / अन्वेषण और प्रयोग
Discussion and debate / चर्चा और बहस
निष्क्रिय सुनने के कौशल वे शैक्षिक हैं जिनके द्वारा छात्रों में सार्थक अधिगम को प्रोस्साहित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि निष्क्रिय श्रवण से अधिगम भी निष्क्रिय हो जाता है। और यह शिक्षण- अधिगम प्रक्रिया में अरूचि उत्पन करता हैं जबकि अन्वेषण और प्रयोग, अधिसंज्ञानात्मक कौशलों का विकास तथा चर्चा और बहस के द्वारा छात्रों | में सार्थक अधिगम को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
Question 4:
स्वनिम जागरूकता किसका ज्ञान है?
शब्द
ध्वनि
संगीत
भाषा
स्वनिम जागरुकता ध्वनि का ज्ञान है । स्वनिम उच्चारित ध्वनि की सबसे छोटी ईकाई है । स्वनिम के लिए ध्वनिग्राम, स्वनिग्राम आदि शब्द भी प्रयुक्त होते है । स्वनिम ज्ञान से भाषा के शुद्ध उच्चारण में सरलता होती हैं।
Question 5:
Trapezium is a quadrilateral in which
समलम्ब (Trapezium) एक चतुर्भुज है जिसकी
सभी भुजाएँ एक समान होती है / all sides are equal
समानांतर विपरीत भुजाओं का एक जोड़ा होता है / there is one pair of parallel opposite sides
समानांतर विपरीत भुजाओ के दो जोड़े होते है / there are two pairs of parallel opposite sides
विपरीत भुजाएँ एक समान होती हैं / opposite sides are equal
Question 6:
Directions: Read the given passage carfully and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option?
The first thing which a scholar should bear in mind is that a book ought not to be read for mere amusement, and are not to be blamed for it; they are incapable of appreciating the deeper qualities that belong to a really great literature. But a young man who has passed through a course of University training should discipline himself at an early day never to read for mere amusement. And once the habit of discipline has been formed, he will find it impossible to read for mere amusement. He will then impatiently throw down any book from which he cannot obtain intellectual food, any book which does not make an appeal to the higher emotions and to his intellect. But on the other, the habit of reading for amusement becomes with thousands of people exactly the same kind of habit as wine-drinking to opium-smoking; it is like a narcotic, something that helps to pass the time, something that keeps up a perpetual condition of dreaming, something that eventually results in destroying all capacity for thought, giving exercise only to the surface parts of the mind and leaving the deeper springs of feelings and the higher faculties of perception unemployed.
The writer believes that half-educated persons are not able to:
appreciate hidden qualities of admirable literature
think properly
enjoy dreaming
enjoy wine-drinking
इस Passage में writer विश्वास करता है कि Half educated person किसी admirable literature के छिपे हुये गुणों की प्रशंसा नहीं कर पाते हैं।
Question 7:
भाषायाः अध्यापिका पञ्चमकक्षायाः छात्रेभ्यः एकम् अनुच्छेदं लेखनाय यच्छति । यदा ते प्रथमप्रारूपं लिखन्ति तदा अध्यापिका आदिशति यत्ते परस्परं अन्योऽन्यस्य अनुच्छेदं पठन्तु तथा च प्रतिपुष्टिमपि ददतु। सह पाठिनाम् इयं प्रतिपुष्टिः
लेखनसम्बन्धिकार्येषु नियमितरूपेण ग्राह्या ।
तेषां प्रतिपुष्टिः न ग्राह्या यतो हि सहपाठिनः अक्षमाः प्रतिपुष्टिलेखने
केवलं लेखनकौशलाय ग्राह्या न तु अन्येभ्यः त्रिकौशलेभ्यः ।
तेषां प्रतिपुष्टिः नग्राह्या यतो हि अध्यापकानामुत्तरदायित्वमेतत् न तु सहपाठिनाम् ।
सह पाठिनाम् सह इयं प्रतिपुष्टिः " लेखन सम्बन्धि कार्येषु नियमित रूपेण ग्राह्या" भवति अर्थात् - (भाषा की अध्यापिका छात्रों को एक अनुच्छेद लिखने के लिए देती है। जब वे पहला प्रारूप लिखते है तब अध्यापिक आदेश देती है। एक दूसरे के अनुच्छेद को पढ़ो तथा प्रति पुष्टि दो यह प्रतिपुष्टि "लेखन सम्बन्धि कार्येषु नियमितरूपेण ग्राह्या होती है।
एकः शिशुः एकं पुस्तकं गृह्णाति । सः शीर्षं उपरिष्टात् कृत्वा सम्यग्रूपेण गृह्णाति, पृष्ठानि च परिवर्तते । एतत्समग्रतया सम्मिलितं करोति -उद्भावितानि साक्षरता कौशलानि (Emergent literacy skills) उदगामि साक्षरता स्तर अर्थात् बालक की प्रारम्भिक स्तर पर पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया, बालक के जन्म से लेकर उसके विद्यालय के प्रवेश तक पढ़ने-लिखने के सम्बन्ध में वो जो भी अवधारणायें बनाते है जो भी ज्ञान - कौशल प्राप्त करते हैं उन सबका उद्गामि साक्षरता स्तर में अन्तर्भाव होता है ।
अर्थात् पाँचवी कक्षा की शिक्षिका रीमा अपने छात्रों को भाषा पाठ अनन्तर खाद्यसूची, समाचार पत्रों के अंशों से रेलयान समय तालिका इत्यादि पठन सामग्री को कक्षा में लाती है इस प्रकार विधि प्रामणिक सामग्रियों का प्रयोग शिक्षिका प्रोत्साहन के लिए करती है |