Question 1:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
प्रस्तुत गद्यांश की विधा क्या है?
Question 2:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
हर अंचल की अपनी अलग-अलग संस्कृति क्यों है?
Question 3:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
'तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती है।'
यह पंक्ति किस ओर संकेत करती है?
Question 4:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था से क्या तात्पर्य है?
Question 5:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
नृत्य और उत्सव के जरिए किसकी कामना की जाती है?
Question 6:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
पूरे भारत में उत्सवों से जुड़ी कौन-सी एक बात समान लगी?
Question 7:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
'मेघालय' का संधि विच्छेद है-
Question 8:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
कौन - सा शब्द 'पर्वत' का पर्यायवाची है?
Question 9:
मेघालय - यानी बादलों का धर । तीन पर्वतयी अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय - खासी, गारो और जयंतिया पर्वत । हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है। हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शायद कमोबेश यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। भारत में जहाँ भी जाइए, लोग सब जगह एक-से ही हैं। हाँ, बोली, पहनावे, नाक-नक्श में थोड़ा अंतर है। यह स्वाभाविक ही है। भौगोलिक स्थितियाँ ही ऐसा अंतर कर देती हैं। यहाँ के रंगारंग नृत्यों का अपना सौंदर्य है। नृत्य और उत्सव के जरिए शांति और संपन्नता की कामना की जाती है, अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत के उत्सवों में भी तो यही भावना निहित है । खासियों के नोंगक्रेम नृत्य को देखने के बाद माँसमाई गाँव की गुफाओं की ओर प्रस्थान किया।
'पर्वतीय' शब्द में कौन-सा प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है?
Question 10:
दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।
यह धरती कितना देती है ! धरती माता
कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !
नहीं समझ पाया था में उसके महत्व को-
बचपन में निःस्वार्थ लोभ वश पैसे बेकार !
रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ।
इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,
इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं
इसमें मानव-ममता के दाने बोने हैं-
जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें
मानवता की - जीवन श्रम से हँसे दिशाएँ-
हम जैसा बोयेंगे वैसा ही पायेंगे
'रत्न प्रसविनी है वसुधा' से क्या तात्पर्य है?