CTET Level -1 (23 June 2024)
Question 1:
Question 2:
In Jean Piaget's theory, the tendency to see the world and the experiences of others from one's own viewpoint is referred to as:
जीन पियाजे के सिद्धान्तों में, दूसरों के अनुभवों व सांसारिक दृष्टिकोण को अपनी दृष्टि से देखने की प्रवृत्ति क्या कहलाती है?
Question 3:
एक बालिका पटना से मुंबई स्थानांतरित होती है। वह विद्यालय में एक भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ती है और सहपाठियों तथा आस-पड़ोस के लोगों के साथ अन्तः क्रिया करके वह मराठी सीखने की स्थिति में है। इस तथ्य से आपकी क्या समझ बन रही है?
Question 4:
Which of the following statements is not true about Bloom's Taxonomy for mathematics?
गणित के लिए ब्लूम टैक्सोनॉमी के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
Question 5:
The average of 16,13,15,11,x,8 and 7 is 12, then the value of x is
16,13,15,11,x,8 और 7 का औसत 12 है, तो x का मान है
Question 6:
Universal Design for Learning to cater to diverse needs to children do not propose multiple ways of –
बच्चों की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिपादित अधिगम हेतु सार्वभौमिक डिजाइन निम्नलिखित के किसके कई तरीके प्रस्तावित नहीं करते हैं?
Question 7:
Which of the following statements is correct while teaching the concept of 'Measurement' to the students at primary level?
प्राथमिक स्तर पर शिक्षार्थियों को 'माप' का सन्दर्भ पढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
Question 8:
While reading a text the ability to locate details, places, names, dates/times etc. is
Question 9:
A teacher of Class 2 is focusing on enhancing the ability to accurately and efficiently recognize known words in printed text. These words are
Question 10:
निर्देश निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
गुरु-शिष्य परंपरा में शिष्य के साथ गुरु का नाम पहले आता है। यह अमुक गुरु का शिष्य है- ऐसा कहा जाता है। गुरु अपने एक-एक शब्द से शिष्य में अवतरित होता है। जो शिष्य पूरी तरह से अपने गुरू को समर्पित है, उसके जीवन में एक समय आता है, जब वह गुरू की आराधना और उपासना करते-करते गुरुमय हो जाता है। शिष्य की वृत्ति सद्गुरू में मिल जाती है। उनकी प्रत्येक चेष्टा में, हावभाव में, वाणी में गुरू का ही प्रतिबिंब नजर आता है। इतना ही नहीं, उसकी आकृति भी गुरू जैसी हो जाती है। कई की तो वाणी भी गुरु जैसी ही हो जाती है। वाणी, विचार, वृत्ति, वेशभूषा, सब में जब सद्गुरु अवतरित होते हैं तब यह नहीं पूछना पड़ता कि तुम्हारा गुरु कौन है? तब तो यह शिष्य को देखते ही पता चल जाता है । जब परमात्मा अवतरित होते हैं, तो पहले सुयोग्य माता-पिता की खोज करते हैं, उसी प्रकार सद्गुरू अवतरित होने के लिए होनहार शिष्य ढूँढ़ते हैं। गुरू अपने शिष्य से माँ से भी ज्यादा परंपरा के माध्यम से यह अविनाशी गुरुतत्व हमेशा शिष्य को प्रकाश देता रहता है।
'समर्पित' में प्रत्यय है-