DSSSB TGT PART-1 (09 June 2024)
Question 1:
Verb form of Simple is :
Question 2:
Who was the last Sultan of Lodi dynasty?
लोदी वंश का अंतिम सुल्तान कौन था?
Question 3:
Select the most appropriate option to substitute the underline /bold segment in the given sentence.If there is no need to improve it ,select 'No Improvement'.
Hardly had he sit on the chair than it broke.
Question 4:
Simplify-
सरलीकृत करें-
(4865 × 2.2) – (4590 × 2.3) + 1 = ?
Question 5:
Select the most appropriate Synonym of the given word.
Impervious
Question 6:
In a certain code language, ' PRINCE' is written as 'NOEIWX'. What is the code for ' ACTION' in that code language?
एक विशिष्ट कोड भाषा में, ' PRINCE' को 'NOEIWX' लिखा जाता है। इस कोड भाषा में ' ACTION' का कोड क्या है?
Question 7:
Select the pair which is related to the given pair in the question on the same basis.
उस जोड़ी का चयन करें जो प्रश्न में दी गई जोड़ी से समान आधार पर संबंधित है।
Question 8:
If PALAM is given the code number 43, then what number can be assigned to STICART?
यदि PALAM को कूट संख्या 43 दी जाती है, तो STUTTGART को क्या संख्या दी जा सकती है?
Question 9:
निर्देश दिये गए निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दिजिए ।
ईर्ष्या का काम जलाना है; मगर, सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानों विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो । मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि अगर वे निंदा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनका स्थान कहाँ होता ।
गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा ?
Question 10:
निर्देश दिये गए निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दिजिए ।
ईर्ष्या का काम जलाना है; मगर, सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानों विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो । मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि अगर वे निंदा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनका स्थान कहाँ होता ।
गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा ?