UPSSSC Junior Assistant (09 June 2024)
Question 1:
Who was the first Governor of Uttar Pradesh after the name was changed from United Province to Uttar Pradesh?
संयुक्त प्रांत से उत्तर प्रदेश के रूप में नाम बदलने के बाद उत्तर प्रदेश का पहला राज्यपाल कौन था?
Question 2:
The 1950s belonged to ________ generation of computer.
1950 कम्प्यूटरों की _______ पीढ़ी से सम्बंधित है।
Question 3:
'तिथि' शब्द का बहुवचन है-
Question 4:
What is the full form of FORTRAN?
FORTRAN का पूर्ण रूप क्या है ?
Question 5:
A is standing 13th from the start of the queue and there are 2 persons between A and B. B is standing after A. If the first 8 persons are removed from the queue then what will be the position of B from the start of the queue?
A कतार के आरंभ से 13वें स्थान पर खड़ा है तथा A और B के बीच 2 व्यक्ति हैं। B, A के बाद खड़ा है। यदि कतार से पहले 8 व्यक्तियों को हटा दिया जाता है तो कतार के आरंभ से B का स्थान क्या होगा?
Question 6:
दिए गए विकल्पों में से एक का अर्थ 'घोड़ा' है-
Question 7:
'चोर वहाँ दीवार के पास खड़ा था।' इस वाक्य में 'वहाँ' किस प्रकार का क्रियाविशेषण है?
Question 8:
'तिथि' शब्द का बहुवचन है-
Question 9:
Which famous Ayurveda scholar lived during the reign of Kanishka I?
कनिष्क प्रथम के शासनकाल के दौरान कौन-सा प्रसिद्ध आयुर्वेद विद्वान रहता था ?
Question 10:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
राष्ट्र केवल जमीन का टुकड़ा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत होती है जो हमें अपने पूर्वजों से परंपरा के रूप में प्राप्त होती है। जिसमें हम बड़े होते हैं, शिक्षा पाते हैं और साँस लेते हैं-हमारा अपना राष्ट्र कहलाता है और उसकी पराधीनता व्यक्ति की परतंत्रता की पहली सीढी होती है। ऐसे ही स्वतंत्र राष्ट्र की सीमाओं में जन्म लेने वाले व्यक्ति का धर्म, जाति, भाषा या संप्रदाय कुछ भी हो, आपस में स्नेह होना स्वाभाविक है। राष्ट्र के लिए जीना और काम करना, उसकी स्वतंत्रता तथा विकास के लिए काम करने की भावना राष्ट्रीयता कहलाती है।
जब व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से धर्म, जाति, कुल आदि के आधार पर व्यवहार करता है तो उसकी दृष्टि संकुचित हो जाती है। राष्ट्रीयता की अनिवार्य शर्त है- देश को प्राथमिकता, भले ही हमें 'स्व' को मिटाना पड़े। महात्मा गाँधी, तिलक, सुभाषचन्द्र बोस आदि के कार्यों से पता चलता है कि राष्ट्रीयता की भावना के कारण उन्हें अनगिनत कष्ट उठाने पड़े, किंतु वे अपने निश्चय में अटल रहे। व्यक्ति को निजी अस्तित्व कायम रखने के लिए पारस्परिक सभी सीमाओं की बाधाओं को भुलाकर कार्य करना चाहिए तभी उसकी नीतियाँ- रीतियाँ राष्ट्रीय कही जा सकती हैं।
जब-जब भारत में फूट पड़ी, तब-तब विदेशियों ने शासन किया। चाहे जातिगत भेदभाव हो या भाषागत- तीसरा व्यक्ति उससे लाभ उठाने का अवश्य यत्न करेगा। आज देश में अनेक प्रकार के आंदोलन चल रहे हैं। कहीं भाषा को लेकर संघर्ष हो रहा है तो कहीं धर्म या क्षेत्र के नाम पर लोगों को निकाला जा रहा है जिसका परिणाम हमारे सामने है। आदमी अपने अहं में सिमटता जा रहा है। फलस्वरूप राष्ट्रीय बोध का अभाव परिलक्षित हो रहा है। यदि हमारे राजनेता अपने स्वार्थ के लिए संस्कृति के इस मूल सन्देश को भूलकर देश की जनता को गलत दिशा देंगे, तब-तब देश के अंदर अस्थिरता, फूट, अंतर्विरोध, गृह-युद्ध जैसे हालात जन्म लेंगे और इसका फायदा अन्य बाहरी देशों को होगा।
अतएव एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें इस बात को गहराई से समझते हुए तुच्छ मतभेदों को त्यागकर अपने मत का सदुपयोग करना चाहिये , जिससे चुने गए हमारे प्रतिनिधि राष्ट्र के लिए निर्माणात्मक दिशा दे सकें। जाति, भाषा और धर्म से ऊपर उठकर और नेताओं के भाषणों से प्रभावित हुए बिना हमें विवेकपूर्वक देश के उत्थान में अपना सहयोग देना चाहिए।
व्यक्ति की दृष्टि कब संकुचित हो जाती है?