UPSSSC Junior Assistant (09 June 2024)
Question 1:
The word 'computer' was derived from which of the following languages?
निम्नलिखित में से किस भाषा से "कम्प्यूटर" शब्द व्युत्पन्न हुई है?
Question 2:
Microsoft excel is also called _______.
माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल को _______भी कहा जाता है।
Question 3:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
राष्ट्र केवल जमीन का टुकड़ा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत होती है जो हमें अपने पूर्वजों से परंपरा के रूप में प्राप्त होती है। जिसमें हम बड़े होते हैं, शिक्षा पाते हैं और साँस लेते हैं-हमारा अपना राष्ट्र कहलाता है और उसकी पराधीनता व्यक्ति की परतंत्रता की पहली सीढी होती है। ऐसे ही स्वतंत्र राष्ट्र की सीमाओं में जन्म लेने वाले व्यक्ति का धर्म, जाति, भाषा या संप्रदाय कुछ भी हो, आपस में स्नेह होना स्वाभाविक है। राष्ट्र के लिए जीना और काम करना, उसकी स्वतंत्रता तथा विकास के लिए काम करने की भावना राष्ट्रीयता कहलाती है।
जब व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से धर्म, जाति, कुल आदि के आधार पर व्यवहार करता है तो उसकी दृष्टि संकुचित हो जाती है। राष्ट्रीयता की अनिवार्य शर्त है- देश को प्राथमिकता, भले ही हमें 'स्व' को मिटाना पड़े। महात्मा गाँधी, तिलक, सुभाषचन्द्र बोस आदि के कार्यों से पता चलता है कि राष्ट्रीयता की भावना के कारण उन्हें अनगिनत कष्ट उठाने पड़े, किंतु वे अपने निश्चय में अटल रहे। व्यक्ति को निजी अस्तित्व कायम रखने के लिए पारस्परिक सभी सीमाओं की बाधाओं को भुलाकर कार्य करना चाहिए तभी उसकी नीतियाँ- रीतियाँ राष्ट्रीय कही जा सकती हैं।
जब-जब भारत में फूट पड़ी, तब-तब विदेशियों ने शासन किया। चाहे जातिगत भेदभाव हो या भाषागत- तीसरा व्यक्ति उससे लाभ उठाने का अवश्य यत्न करेगा। आज देश में अनेक प्रकार के आंदोलन चल रहे हैं। कहीं भाषा को लेकर संघर्ष हो रहा है तो कहीं धर्म या क्षेत्र के नाम पर लोगों को निकाला जा रहा है जिसका परिणाम हमारे सामने है। आदमी अपने अहं में सिमटता जा रहा है। फलस्वरूप राष्ट्रीय बोध का अभाव परिलक्षित हो रहा है। यदि हमारे राजनेता अपने स्वार्थ के लिए संस्कृति के इस मूल सन्देश को भूलकर देश की जनता को गलत दिशा देंगे, तब-तब देश के अंदर अस्थिरता, फूट, अंतर्विरोध, गृह-युद्ध जैसे हालात जन्म लेंगे और इसका फायदा अन्य बाहरी देशों को होगा।
अतएव एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें इस बात को गहराई से समझते हुए तुच्छ मतभेदों को त्यागकर अपने मत का सदुपयोग करना चाहिये , जिससे चुने गए हमारे प्रतिनिधि राष्ट्र के लिए निर्माणात्मक दिशा दे सकें। जाति, भाषा और धर्म से ऊपर उठकर और नेताओं के भाषणों से प्रभावित हुए बिना हमें विवेकपूर्वक देश के उत्थान में अपना सहयोग देना चाहिए।
एक जागरूक नागरिक के रूप में हमारा क्या कर्तव्य है?
Question 4:
Which of the following committees suggested including the fundamental duties in the Constitution?
निम्नलिखित में से कौन-सी समिति ने मूल कर्त्तव्यों को संविधान में सम्मिलित करने का सुझाव दिया?
Question 5:
______ is a major centre of leather business in Uttar Pradesh.
______ उत्तर प्रदेश में चमड़ा व्यवसाय का एक प्रमुख केन्द्र है।
Question 6:
Statements: / कथन :
सभी छात्र, शिक्षक हैं। / All students are teachers.
कुछ शिक्षक, व्याख्याता हैं। / Some teachers are lecturers.
सभी व्याख्याता, वृत्तिक हैं। / All lecturers are professionals.
Conclusions: / निष्कर्ष :
(i) कुछ छात्र, व्याख्याता हैं। / Some students are lecturers.
(ii) कुछ वृत्तिक, छात्र हैं। / Some professionals are students.
Question 7:
'हम और तुम और श्याम को अवश्य जाना है।' उक्त वाक्य में कौन-सा भाग गलत है?
Question 8:
In which year was the Department of Agricultural Meteorology established in Pune?
पुणे में कृषि मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना किस वर्ष की गई थी ?
Question 9:
Who was the first Governor of Uttar Pradesh after the name was changed from United Province to Uttar Pradesh?
संयुक्त प्रांत से उत्तर प्रदेश के रूप में नाम बदलने के बाद उत्तर प्रदेश का पहला राज्यपाल कौन था?
Question 10:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
राष्ट्र केवल जमीन का टुकड़ा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत होती है जो हमें अपने पूर्वजों से परंपरा के रूप में प्राप्त होती है। जिसमें हम बड़े होते हैं, शिक्षा पाते हैं और साँस लेते हैं-हमारा अपना राष्ट्र कहलाता है और उसकी पराधीनता व्यक्ति की परतंत्रता की पहली सीढी होती है। ऐसे ही स्वतंत्र राष्ट्र की सीमाओं में जन्म लेने वाले व्यक्ति का धर्म, जाति, भाषा या संप्रदाय कुछ भी हो, आपस में स्नेह होना स्वाभाविक है। राष्ट्र के लिए जीना और काम करना, उसकी स्वतंत्रता तथा विकास के लिए काम करने की भावना राष्ट्रीयता कहलाती है।
जब व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से धर्म, जाति, कुल आदि के आधार पर व्यवहार करता है तो उसकी दृष्टि संकुचित हो जाती है। राष्ट्रीयता की अनिवार्य शर्त है- देश को प्राथमिकता, भले ही हमें 'स्व' को मिटाना पड़े। महात्मा गाँधी, तिलक, सुभाषचन्द्र बोस आदि के कार्यों से पता चलता है कि राष्ट्रीयता की भावना के कारण उन्हें अनगिनत कष्ट उठाने पड़े, किंतु वे अपने निश्चय में अटल रहे। व्यक्ति को निजी अस्तित्व कायम रखने के लिए पारस्परिक सभी सीमाओं की बाधाओं को भुलाकर कार्य करना चाहिए तभी उसकी नीतियाँ- रीतियाँ राष्ट्रीय कही जा सकती हैं।
जब-जब भारत में फूट पड़ी, तब-तब विदेशियों ने शासन किया। चाहे जातिगत भेदभाव हो या भाषागत- तीसरा व्यक्ति उससे लाभ उठाने का अवश्य यत्न करेगा। आज देश में अनेक प्रकार के आंदोलन चल रहे हैं। कहीं भाषा को लेकर संघर्ष हो रहा है तो कहीं धर्म या क्षेत्र के नाम पर लोगों को निकाला जा रहा है जिसका परिणाम हमारे सामने है। आदमी अपने अहं में सिमटता जा रहा है। फलस्वरूप राष्ट्रीय बोध का अभाव परिलक्षित हो रहा है। यदि हमारे राजनेता अपने स्वार्थ के लिए संस्कृति के इस मूल सन्देश को भूलकर देश की जनता को गलत दिशा देंगे, तब-तब देश के अंदर अस्थिरता, फूट, अंतर्विरोध, गृह-युद्ध जैसे हालात जन्म लेंगे और इसका फायदा अन्य बाहरी देशों को होगा।
अतएव एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें इस बात को गहराई से समझते हुए तुच्छ मतभेदों को त्यागकर अपने मत का सदुपयोग करना चाहिये , जिससे चुने गए हमारे प्रतिनिधि राष्ट्र के लिए निर्माणात्मक दिशा दे सकें। जाति, भाषा और धर्म से ऊपर उठकर और नेताओं के भाषणों से प्रभावित हुए बिना हमें विवेकपूर्वक देश के उत्थान में अपना सहयोग देना चाहिए।
देश में चलने वाले अनेक प्रकार के आन्दोलनों का क्या परिणाम होता है?