UPSSSC Junior Assistant (16 June 2024)

Question 1:

'चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रहीं हैं जल-थल मे इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है? 

  • अनुप्रास 

  • उत्प्रेक्षा 

  • यमक 

  • अन्योक्ति 

Question 2:

निम्नलिखित में से कौन सा अनौपचारिक पत्र का  उदाहरण है? 

  • प्रधानाचार्य को दो दिनों के अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र 

  • मोहल्ले में बिजली की समस्या के लिए जिलाधिकारी को लिखा गया पत्र 

  • बहन के विवाह में शामिल होने के लिए मित्र को लिखा गया पत्र 

  • गाँव में पुस्तकालय खुलवाने हेतु जिला परिषद् के अध्यक्ष को लिखा गया पत्र 

Question 3:

निम्नलिखित गंद्याश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

इस रत्नगर्भा वसुंधरा के अंतःस्थल में हीरे-मणि- माणिक्य और सम्पदा का अभाव नहीं है। धरती का विस्तीर्ण अतल गर्भ अनंत धनराशि से भरा पड़ा है। आवश्यकता है, इसके वक्ष को चीरकर उन्हें उगलवा लेने वाले दृढ़ संकल्प और साहस की। धरती के अंदर विद्यमान धनराशि के कारण ही धरती वसुंधरा कहलाती है। इस धरा पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यदि भाग्य में नहीं है तो हथेली पर आई वस्तु भी नष्ट हो जाती है। जब हम अपना चिंतन केवल भाग्यवाद को आधार मानकर करते हैं, तो हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं करते। प्रयत्न के अभाव में फल भी नहीं मिलता और लोग भाग्य को दोष देते रहते हैं। ऐसे भाग्यवादी लोगों को कायर माना जाता है। अकूत सम्पदा तो उसी को मिल सकती है जो पूर्ण संकल्प के साथ कार्य में प्रवृत्त हो। जैसे अर्जुन का ध्यान पक्षी की बेधे जाने वाली आँख पर था, उसी प्रकार जो लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ होकर सतत प्रयासशील रहता है, समय के परिपाकं के साथ उस लक्ष्य को पाने में सफल हो जाता है। ऐसे लोग जो भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और प्रतीक्षा करते रहते हैं कि अली बाबा की सिम-सिम वाली गुफा का द्वार कब खुलता है, उन्हें जब असफलता का अँधेरा अपने चारों ओर घिरता दिखाई देता है, तब वे पछतावा करते हैं कि उन्होंने व्यर्थ ही समय गँवा दिया। मनुष्य के पास सभी कुछ पा लेने की क्षमता होती है, पर कैसे उसे पाया जाएगा उसके लिए संपूर्ण निर्णयशक्ति, दृढ़ संकल्प  और अपेक्षित परिश्रम आवश्यक है। कई बार लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच कर हम प्रयत्न करना छोड़ देते हैं और भाग्य को दोष देते हैं। भाग्य जैसी कोई वस्तु या तो होती ही नहीं है और या परिश्रम की चाबी के साथ मिलकर भाग्य की चाबी काम करती है। भाग्य की अकेली चाबी सफलता के ताले को नहीं खोल सकती। इसीलिए कवि तुलसीदास ने कहा है- कायर मन कर एक अधारा । दैव दैव आलसी पुकारा ॥  

गद्यांश में कायर किसको माना गया है ?

 

  • जो युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग जाए।

  • जो अपेक्षित परिश्रम से डरकर भाग्य का आश्रय ले ।

  • जो मेहनत करने से पीछे न हटे । 

  • जो पड़ोसी के ललकारने पर घर के अंदर छिप जाए।

Question 4:

निम्नलिखित गंद्याश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

इस रत्नगर्भा वसुंधरा के अंतःस्थल में हीरे-मणि- माणिक्य और सम्पदा का अभाव नहीं है। धरती का विस्तीर्ण अतल गर्भ अनंत धनराशि से भरा पड़ा है। आवश्यकता है, इसके वक्ष को चीरकर उन्हें उगलवा लेने वाले दृढ़ संकल्प और साहस की। धरती के अंदर विद्यमान धनराशि के कारण ही धरती वसुंधरा कहलाती है। इस धरा पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यदि भाग्य में नहीं है तो हथेली पर आई वस्तु भी नष्ट हो जाती है। जब हम अपना चिंतन केवल भाग्यवाद को आधार मानकर करते हैं, तो हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं करते। प्रयत्न के अभाव में फल भी नहीं मिलता और लोग भाग्य को दोष देते रहते हैं। ऐसे भाग्यवादी लोगों को कायर माना जाता है। अकूत सम्पदा तो उसी को मिल सकती है जो पूर्ण संकल्प के साथ कार्य में प्रवृत्त हो। जैसे अर्जुन का ध्यान पक्षी की बेधे जाने वाली आँख पर था, उसी प्रकार जो लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ होकर सतत प्रयासशील रहता है, समय के परिपाकं के साथ उस लक्ष्य को पाने में सफल हो जाता है। ऐसे लोग जो भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और प्रतीक्षा करते रहते हैं कि अली बाबा की सिम-सिम वाली गुफा का द्वार कब खुलता है, उन्हें जब असफलता का अँधेरा अपने चारों ओर घिरता दिखाई देता है, तब वे पछतावा करते हैं कि उन्होंने व्यर्थ ही समय गँवा दिया। मनुष्य के पास सभी कुछ पा लेने की क्षमता होती है, पर कैसे उसे पाया जाएगा उसके लिए संपूर्ण निर्णयशक्ति, दृढ़ संकल्प  और अपेक्षित परिश्रम आवश्यक है। कई बार लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच कर हम प्रयत्न करना छोड़ देते हैं और भाग्य को दोष देते हैं। भाग्य जैसी कोई वस्तु या तो होती ही नहीं है और या परिश्रम की चाबी के साथ मिलकर भाग्य की चाबी काम करती है। भाग्य की अकेली चाबी सफलता के ताले को नहीं खोल सकती। इसीलिए कवि तुलसीदास ने कहा है- कायर मन कर एक अधारा । दैव दैव आलसी पुकारा ॥  

भाग्य को कौन लोग दोष देते रहते हैं?

  • जो किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं 

  • जिनको पहले से पता होता है कि उन्होंने मेहनत नहीं की है और वे सफल होने वाले नहीं हैं 

  • जो परिश्रमशील होते हैं और सफल हो जाते हैं

  • जो प्रयत्न के अभाव में फल न मिल पाने के कारण बचाव का बहाना खोजते हैं। 

Question 5:

निम्नलिखित गंद्याश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

इस रत्नगर्भा वसुंधरा के अंतःस्थल में हीरे-मणि- माणिक्य और सम्पदा का अभाव नहीं है। धरती का विस्तीर्ण अतल गर्भ अनंत धनराशि से भरा पड़ा है। आवश्यकता है, इसके वक्ष को चीरकर उन्हें उगलवा लेने वाले दृढ़ संकल्प और साहस की। धरती के अंदर विद्यमान धनराशि के कारण ही धरती वसुंधरा कहलाती है। इस धरा पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यदि भाग्य में नहीं है तो हथेली पर आई वस्तु भी नष्ट हो जाती है। जब हम अपना चिंतन केवल भाग्यवाद को आधार मानकर करते हैं, तो हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं करते। प्रयत्न के अभाव में फल भी नहीं मिलता और लोग भाग्य को दोष देते रहते हैं। ऐसे भाग्यवादी लोगों को कायर माना जाता है। अकूत सम्पदा तो उसी को मिल सकती है जो पूर्ण संकल्प के साथ कार्य में प्रवृत्त हो। जैसे अर्जुन का ध्यान पक्षी की बेधे जाने वाली आँख पर था, उसी प्रकार जो लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ होकर सतत प्रयासशील रहता है, समय के परिपाकं के साथ उस लक्ष्य को पाने में सफल हो जाता है। ऐसे लोग जो भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और प्रतीक्षा करते रहते हैं कि अली बाबा की सिम-सिम वाली गुफा का द्वार कब खुलता है, उन्हें जब असफलता का अँधेरा अपने चारों ओर घिरता दिखाई देता है, तब वे पछतावा करते हैं कि उन्होंने व्यर्थ ही समय गँवा दिया। मनुष्य के पास सभी कुछ पा लेने की क्षमता होती है, पर कैसे उसे पाया जाएगा उसके लिए संपूर्ण निर्णयशक्ति, दृढ़ संकल्प  और अपेक्षित परिश्रम आवश्यक है। कई बार लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच कर हम प्रयत्न करना छोड़ देते हैं और भाग्य को दोष देते हैं। भाग्य जैसी कोई वस्तु या तो होती ही नहीं है और या परिश्रम की चाबी के साथ मिलकर भाग्य की चाबी काम करती है। भाग्य की अकेली चाबी सफलता के ताले को नहीं खोल सकती। इसीलिए कवि तुलसीदास ने कहा है- कायर मन कर एक अधारा । दैव दैव आलसी पुकारा ॥  

'परिश्रम' शब्द कौन-सी व्याकरणिक इकाई है? 

  • क्रिया-विशेषण 

  • सर्वनाम 

  • विशेषण 

  • संज्ञा 

Question 6:

Five words have been given, out of which four are alike is some manner and one is different. Select the odd one.

Satellite, Star, Sun, Earth, Universe

नीचे पाँच शब्द दिए गए हैं, जिनमें से चार किसी ना किसी प्रकार से एक समान हैं और एक इनमें भिन्न है। भिन्न का चयन करें-

उपग्रह, तारा, सूर्य, पृथ्वी, ब्रह्माण्ड

  • Satellite / उपग्रह

  • Star/तारा

  • Earth / पृथ्वी

  • Universe / ब्रह्माण्ड

Question 7:

In a class of 100 students for a social activity, 50 liked to go for tree planting and 70 liked to go for cleanliness drive. 10 students did not like either. How many liked both?

एक सामाजिक कार्य के लिए 100 छात्रों की कक्षा में से 50 ने पेड़ लगाने के लिए जाना पसंद किया और 70 ने स्वच्छता अभियान में जाने की इच्छा जताई। 10 छात्रों को इनमें से कुछ भी पसंद नहीं आया। दोनों सामाजिक कार्यों को कितने छात्रों ने पसंद किया।

  • 25

  • 30

  • 15

  • 12

Question 8:

In a certain code language, MILLION is written as IMLLOIN. How will HILTON be written as in that code language?

एक निश्चित कूट भाषा में, : MILLION को IMLLOIN के रूप में लिखा जाता है। उसी कूट भाषा में HILTON को कैसे लिखा जाएगा

  • IHTLNO

  • HILONT

  • IHLOTN

  • HILNOT

Question 9:

Select the cube that CANNOT be formed by  folding the given sheet along the lines.

उस घन  का चयन करें जो निम्नलिखित शीट को रेखाओं के अनुदिश फोल्ड करके नहीं बनाया जा सकता है।

Upsssc Junior Assistant (16 June 2024) 2

  • c

  • d

  • b

  • a

Question 10:

Each of the letters below has been assigned a unique number. Select the combination of numbers such that the corresponding letters when arranged accordingly will form a meaningful word.

नीचे दिए गए प्रत्येक अक्षर को एक अद्वितीय संख्या आवंटित की गई है। संख्याओं के संयोजन का चयन इस प्रकार से करें कि जब अनुरूप वर्ण व्यवस्थित किए जाएं तो एक अर्थपूर्ण शब्द बन जाए ।

RUSGA

13579

  • 9, 5, 7, 1, 3

  • 5, 3, 7, 9, 1

  • 1, 9, 7, 3, 5

  • 7, 9, 5, 3, 1

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