पियाजे के संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त के अनुसार, हमारे विचार और तर्क अनुकूलन का हिस्सा है। संज्ञानात्मक विकास अवस्थाओं के एक निश्चित क्रम का अनुकरण करता है। इनके संज्ञानात्मक विकास की चार प्रमुख अवस्थाएँ थी:
(1) संवेदी प्रेरक अवस्था (जन्म - 2 वर्ष)
(2) पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2-7 वर्ष)
(3) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (7-11 वर्ष)
(4) औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था ( 11 + वर्ष)
औपचारिक संक्रियात्मक (अमूर्त अवधारणा) और संचालन पर काम करने की क्षमता 11 वर्ष की उम्र के आसपास आरम्भ होती है। इस स्तर पर संज्ञानात्मक विकास में पियाजे ने “परिकल्पनात्मक- निगमनात्मक तर्क” को आवश्यक माना था। किशोर अब परिकल्पनात्मक-निगमनात्मक और अमूर्त अवधारणाओं पर विचार करना आरम्भ कर सकते हैं।
वे प्रायः “क्या-अगर” स्थितियों और प्रश्नों पर विचार करते हैं और कई समाधानों या संभावित परिणामों के बारे में सोचने में सक्षम होते हैं । अतः पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था में परिकल्पनात्मक चिंतन विकसित होता है ।
Question 2:
उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में बोली जाने वाली हिंदी उत्त प्रदेश के पश्चिमी भाग में बोली जाने वाली हिंदी से भिन्न है। इस भिन्नता को किस रूप में जाना जाता है?
वे हिंदी की एक बोली से संबंध रखती हैं
वे विभिन्न भाषाएँ हैं ।
वे हिंदी की बोलियाँ हैं ।
वे आने वाले समय में विभिन्न भाषाओं का दर्जा प्राप्त कर लेगी।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में बोली जाने वाली हिन्दी उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में बोली जाने वाली हिन्दी से भिन्न है। यह दोनों बोलियाँ हिन्दी की ही बोलियाँ हैं ।
एकः अध्यापकः 3 - 9 वर्षीयाणां बालानाम् आकलनं "तेषां क्षमताम् आवश्यकताम्, रुचीनाम् आकलनाय” तेषां आकलनं कुर्यात् अर्थात् एक अध्यापक 3 से 9 वर्षीय बालकों का आकलन “ उनकी क्षमता आवश्यकता तथा रुचियों का आकलन करके करना चाहिए ।
Question 4:
Assertion (A): Along with cognitive development schools should ensure emotional well-being of students as well.
अभिकथन (A) : • संज्ञानात्मक विकास के साथ विद्यालयों को विद्यार्थियों की भावात्मक खुशहाली सुनिश्चित करनी चाहिए।
Reason (R) : Verbalisation of thoughts while working on a problem binders problem solving skill.
कारण (R) : किसी समस्या/ प्रश्न को हल करते समय विचारों का मौखिकीकरण समस्या समाधान कौशल में बाधा डालता है।
Choose the correct option: सही विकल्प चुनेः
Both (A) and (R) are true but (R) is not the correct explanation of (A). / (A) और (R) दोनों सही हैं लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
Both (A) and (R) are true and (R) is the correct explanation of (A). /(A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है
A) is true but (R) si false. (A) सही है लेकिन (R) गलत है।
Both (A) and (R) are false. (A) और (R) दोनों गलत हैं।
संज्ञानात्मक विकास के साथ विद्यालयों को विद्यार्थियो की भावात्मक खुशहाली सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि वे दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बना सकें। विद्यालयों को एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहां छात्र निःसंकोच या डर के अपनी भावनाओं से निपटना सीख सकें। भावात्मक विकास छात्रों को उनके साथियों और शिक्षकों के बीच सकारात्मक बातचीत करने में तथा अपने विचारों और भावनाओं को सबसे प्रभावी तरीके से व्यक्त करने में सहायता करती है । अतः, अभिकथन (A) सही है। किसी समस्या / प्रश्न को हल करते समय विचारों का मौखिकीकरण समस्या समाधान कौशल में बाधा डालता है क्योंकि समस्या समाधान कौशल में शिक्षक बालकों को अप्रत्याशित परिस्थितियों या काम पर कठिन चुनौतियों को संभालने में सक्षम बनाते हैं। अतः कथन (R) भी सही है, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
अर्थात् भाषा शिक्षण मे कथावाचनपद्धति का उद्देश्य भाषा के प्रयोग में छात्रों का संलग्नीकरण है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में कथा भी एक महत्वपूर्ण विधा है। जो छात्रों में तर्क व निरीक्षण शक्ति का विकास करती है। साथ ही उनकी जिज्ञासाओं का समाधान कर मनोरंजन भी करती है। इसलिए भाषा शिक्षण करते समय कथावाचन पद्धति को विशेष महत्व दिया जाता है। कथावाचन पद्धति का उद्देश्य छात्रों के पूर्वज्ञान का परीक्षण तथा समुचित श्रवण कौशल का सम्पादन द्वारा कथा के प्रति अनुराग उत्पन्न करना है।
Question 6:
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
जिस विद्यार्थी ने समय की कीमत जान ली, वह सफलता को अवश्य प्राप्त करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या की समय-सारणी अथवा तालिका बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए । जिस विद्यार्थी ने समय का सही उपयोग करना सीख लिया उसके लिए कोई भी काम करना असंभव नहीं है । कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोई काम पूरा न होने पर समय की दुहाई देते हैं । वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत होती है । अपनी अकर्मण्यता और आलस को वे समय की कमी के बहाने छिपाते हैं । कुछ लोगों को अकर्मण्य रह कर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है ऐसे लोग केवल बातूनी होते हैं । दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सदैव कार्यव्यस्तता जीवन बिताया है । दुनिया में अथवा प्रकृति में हर वस्तु का समय निश्चित है । समय बीत जाने के बाद कार्य फलप्रद नहीं होता ।
दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य क्या है ?
समय का सदुपयोग
समय को बर्बाद करना
समय का दुरुपयोग
सही समय पर आराम करते रहना
दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य 'समय का सदुपयोग' रहा है। दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सही समय का सही सदुपयोग किया है।
Question 7:
Which of the following practices will be helpful in successful inclusion of students with hearing impairment ?
श्रवण बाधिता से जूझते विद्यार्थियों के सफल समावेशन में निम्न में से कौन-सी पद्धति सहायक होगी?
Showing movies and videos without subtitles चलचित्र और वीडियो को बिना उपशीर्षकों के दिखाना
Preferring lecture method mostly for presenting information / जानकारी प्रस्तुत करने के लिए अधिकतर व्याख्यान विधि का प्रयोग करना
Supplementing oral form of communication with visual form of communication / संप्रेषण के मौखिक रूप को दृश्य रूप से परिपूर्ण करना
Using verbal mode as dominant mode of assessment/मौखिक रूप को मूल्यांकन के प्रधान रूप में इस्तेमाल करना
श्रवण बाधिता एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती जिसमें किसी व्यक्ति की कान के माध्यम से पूरी तरह से ध्वनि सुनने की क्षमता क्षीण हो जाती है जिससे श्रवण बाधित बच्चों को कहे गये प्रत्येक शब्द को ध्यान से सुनने में कठिनाई होती है वे अक्सर संकेतों औश्र दृश्यों के साथ सहज होते हैं। ऐसे बालकों के सफल समावेशन के लिए निम्न पद्धतियों का प्रयोग सहायक होगा ।
शिक्षकों को यह जाँचना चाहिए कि सभी चलचित्र और वीडियों को अनुशीर्षक / उपशीर्षक हो और वह सटीक हो ।
संचार (संप्रेषण) बढ़ाने के लिए मौखिक रूपों के स्थान पर दृश्यों का उपयोग करना चाहिए ।
विशेष शिक्षकों का सहयोग लेना चाहिए जिससे शिक्षक को अक्षम बच्चों की आवश्यकता को समझने में मदद मिलेगी ।
Question 8:
For teaching mathematics at primary stage, the pedagogy should focus on
प्राथमिक स्तर पर गणित के शिक्षण के लिए, शिक्षाशास्त्र को केन्द्रित होना चाहिए
Didactic communication/उपदेशात्मक संप्रेषण पर
Inductive approach / आगमनात्मक उपागम पर
Hypothesis generation and testing/ परिकल्पना सृजन एवं जाँच पर
Drill and practice / ड्रिल एवं अभ्यास पर
प्राथमिक स्तर पर गणित के शिक्षण के लिए शिक्षा शास्त्र को आगमनात्मक उपागम पर आधारित होना चाहिए ।
क्योंकि प्राथमिक स्तर बुनियादी आयु होती है इसलिए इस स्तर पर उदाहरण से नियम की ओर चलते हैं। अर्थात् आगमनात्मक विधि का उपयोग करते है।
Question 9:
निर्देश - निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही व सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।
पथ में काँटे तो होंगें ही,
दूर्वादल, सरिता, सर होंगें ।
सुंदर गिरि वन - वापी होंगें,
सुंदर-सुंदर निर्झर होंगे।
सुंदरता की मृग-तृष्णा में,
पथ भूल न जान पथिकं कहीं।
जब कठिन कर्म - पगडंडी पर,
राही का मन उन्मुख होगा।
जब सपनें सब मिट जाएँगें,
कर्तव्य मार्ग सम्मुख होगा।
तब अपनी प्रथम विफलता में,
पथ भूल न जाना पथिक कहीं ॥
किस स्थिति में पथिक द्वारा पथ भूल जाने की आंशका है?
साहस के साथ चलना
विवेकपूर्ण सामना
सौंदर्य के प्रति आसक्ति
आशावादी दृष्टिकोण
'सौन्दर्य के प्रति आसक्ति' की स्थिति में पथिक द्वारा पथ भूल जाने की आशंका है।
Question 10:
Die A consists of numbers 1, 3 and 5 on three faces and 0 is marked on all other faces. On the second die B; odd numbers 1, 3 and 5 are replaced by twice of those numbers and remaining three faces consist of 2, 4 and 6. Both the dice are thrown together and product of numbers obtained is taken. If we write all possible products, which product will be obtained three times?
पासे A के तीन फलकों पर संख्याएँ 1, 3 और 5 अंकित हैं तथा अन्य सभी फलकों पर 0 अंकित हैं। दूसरे पासे B में: विषम संख्याओं 1, 3 और 5 को उनके दुगुने से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तथा शेष तीन फलकों पर 2,4 और 6 अंकित हैं। दोनों पासों को एक साथ फेंका जाता है तथा प्राप्त संख्याओं का गुणनफल नोट किया जाता है। यदि हम सभी संभव गुणनफलों को लिखे, तो कौन - सा गुणनफल तीन बार प्राप्त होगा ?