DSSSB MTS (16 June 2024)

Question 1:

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल । 

बिन निज भाषा ज्ञान कै मिटै न हिय कौ शूल ।।

इन पंक्तियों में कौन सा छन्द है? 

  • चौपाई 

  • रोला 

  • वरवै 

  • दोहा

Question 2:

काली घटा का घमंड घटा नभ मंडल तारका वृन्द खिले', इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है? 

  • यमक अलंकार 

  • उपमा अलंकार 

  • श्लेष अलंकार 

  • रूपक अलंकार 

Question 3:

'चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात'- लोकोक्ति का अर्थ है- 

  • थोड़े दिन का सुख 

  • चाँद न दिखाई देना 

  • चार दिन चाँद दिखना 

  • सुख ही सुख होना 

Question 4:

पहाड़ टूट पड़ना' मुहावरे का उपयुक्त अर्थ है

  • बारूद से पहाड़ तोड़ना ।

  • आर्थिक हानि होना । 

  • भारी विपत्ति आना। 

  • बीमार पड़ना । 

Question 5:

'ब्रज' हिन्दी की किस उपभाषा के अंतर्गत है? 

  • राजस्थानी हिन्दी 

  • पूर्वी हिन्दी 

  • पश्चिमी हिन्दी 

  • पहाड़ी हिन्दी 

Question 6:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों  के उत्तर चुनिए:

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे 'नितान्त', सफल सिद्ध हुए। हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा, घृणा', को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती । शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं । प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा । अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी। 

विश्व में शांति क्यों आवश्यक है ?

  • मानव जाति के विकास के लिए

  • व्यापार और कृषि की उन्नति के लिए 

  • उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य के लिए

  • कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाने के लिए 

Question 7:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों  के उत्तर चुनिए:

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे 'नितान्त', सफल सिद्ध हुए। हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा, घृणा', को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती । शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं । प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा । अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी। 

विश्व शांति की स्थापना के लिए सबसे आवश्यक है 

  • परिश्रम और ज्ञान 

  • आत्मीयता और समीपता

  • अहिंसा और प्रेम 

  • हिंसा और भय 

Question 8:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों  के उत्तर चुनिए:

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे 'नितान्त', सफल सिद्ध हुए। हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा, घृणा', को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती । शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं । प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा । अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी। 

कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है- 

  • भय द्वारा 

  • सत्य पालन द्वारा 

  • मौन पालन द्वारा 

  • अहिंसा द्वारा 

Question 9:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों  के उत्तर चुनिए:

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे 'नितान्त', सफल सिद्ध हुए। हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा, घृणा', को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती । शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं । प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा । अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी। 

किसी भी राष्ट्र के स्वर्णिम युग के प्रमुख तत्व हैं 

  • शान्ति, सुख और रचनात्मक कार्य 

  • आध्यात्म और उपासना 

  • धन और वैभव 

  • धन और सम्मान 

Question 10:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों  के उत्तर चुनिए:

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे 'नितान्त', सफल सिद्ध हुए। हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा, घृणा', को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती । शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं । प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा । अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी। 

'नितान्त' शब्द का उपयुक्त पर्याय है 

  • निम्न 

  • बिलकुल 

  • भलीभाँति 

  • विधिवत् 

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