The marked price of an item is Rs 300. After giving three successive discounts of 20%, x% and 5%, the item is sold for Rs 177.84. Find the value of x.
किसी वस्तु का अंकित मूल्य 300 रु. है। 20%, x% और 5% की तीन क्रमागत छूट देने के बाद, इस वस्तु को 177.84 रु. में बेचा जाता है। x का मान ज्ञात करें।
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Question 6:
नीचे दिए गद्यांश का पढ़कर उस पर आधारित प्रश्न का सर्वाधिक उचित विकल्प का चयन कीजिए।
यह कहीं ज्यादा अच्छा होगा कि लोक उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी के लिए दफ्तरों की खाक छानने की बजाय थोड़ी सी यांत्रिक शिक्षा प्राप्त करें। जिससे काम-धंधे से लगकर अपना पेट तो पाल सकेंगे। जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम में समर्थ नहीं बना सकती, सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है ?
जीवन यापन के लिए कैसी शिक्षा चाहिए?
उच्च शिक्षा
यांत्रिक शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
गद्यांश के अनुसार जीवन-यापन के लिए ‘यांत्रिक शिक्षा' चाहिए।
Question 7:
निम्नलिखित में से किस शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय का एक साथ प्रयोग किया गया है?
अभिमानी
भारतीयता
हिस्सेदार
कृपालुता
Question 8:
विसर्ग संधि में किसका मेल होता है?
विसर्ग और व्यंजन का
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन
विसर्ग के साथ विसर्ग
विसर्ग के साथ स्वर
विसर्ग संधि में विसर्ग के साथ स्वर एवं व्यंजन का मेल होता है;
जैसे- निः + आशा = निराशा,
निः + रोग = नीरोग
Question 9:
निम्नलिखित में छायावादी कवि कौन सा नहीं है?
बिहारी लाल
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
महादेवी वर्मा
जयशंकर प्रसाद
बिहारी लाल छायावादी कवि नहीं हैं, बल्कि बिहारी रीति काल के अन्तर्गत रीतिसिद्ध कवि हैं जबकि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', महादेवी वर्मा एवं जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं ।
Question 10:
Which Indian philosopher was the founder of 'Advaita Vedanta'?
'अद्वैत वेदान्त' के संस्थापक कौन-से भारतीय दार्शनिक थे?
बृहस्पति / Brihaspati
आदि शंकराचार्य / Adi Shankaracharya
गौतम बुद्ध / Gautam Buddha
महार्षि कणाद / Maharishi Kanada
'अद्वैत वेदान्त' के संस्थापक आदि शंकराचार्य भारतीय दार्शनिक थे। शंकराचार्य मानते थे कि संसार में ब्रह्मा ही सत्य है, जगत मिथ्या है, जीव और ब्रह्मा अलग नहीं हैं। जीव केवल अज्ञान के कारण ब्रह्मा को नहीं जान पाता, जबकि ब्रह्मा तो उसके अन्दर विराजमान है। उन्होंने अपने ब्रह्मासूत्र में "अंह ब्रह्मस्मि " ऐसा कहकर अद्वैत सिद्धान्त बताया है।