CTET Level -2 (30 June 2024)

Question 1:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

'इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे।' वाक्य के रेखांकित अंश में किस दौर के लोगों की चर्चा की गई है? 

  • मानव इतिहास में नाम दर्ज करवाने वाले लोगों की ।

  • नौ-दस हज़ार वर्ष पूर्व के लोगों की । 

  • बौद्धिक दृष्टिकोण खोजने वाले धनी लोगों की । 

  • मानव इतिहास में लक्ष्य प्राप्त करने वाले लोगों की । 

Question 2:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

भक्ति योग का महत्त्व है : 

  • ज्ञान योग की प्रगति में 

  • कर्म योग की प्रगति में 

  • सापेक्ष दुनिया की प्राप्ति में 

  • वास्तविक प्रगति की प्राप्ति में 

Question 3:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

_______एवं ______योग भक्ति मार्ग को सशक्त करेंगे। 

  • ज्ञान योग, राज योग 

  • कर्म योग, भक्ति योग 

  • भक्ति योग, ज्ञान योग 

  • कर्म योग, ज्ञान योग 

Question 4:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि मानव जीवन में ______ का महत्त्व सर्वाधिक है।

  • बौद्धिक दृष्टिकोण 

  • कर्म योग 

  • ज्ञान योग 

  • आध्यात्मिकता 

Question 5:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

मानव जीवन के लिए एकमात्र मार्ग है: 

  • कर्म का 

  • राज का 

  • ज्ञान का 

  • भक्ति का 

Question 6:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

मनुष्य के पूर्वजों ने किस चीज़ की आवश्यकता को नहीं समझा था ? 

  • कर्म मार्ग की 

  • ज्ञान मार्ग की 

  • भक्ति मार्ग की 

  • मानसिक विकास की 

Question 7:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

विशेषण - विशेष्य का उदाहरण है: 

  • अधिक तेज़ी 

  • उज्ज्वल पक्ष 

  • मानव इतिहास 

  • सबसे बुद्धिमान 

Question 8:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

'सापेक्ष' का विलोम शब्द है: 

  • अनापेक्ष 

  • निरापेक्ष 

  • असापेक्ष 

  • निरपेक्ष 

Question 9:

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए । 

कहते हैं मनुष्य ने नौ से दस हज़ार साल पहले बौद्धिक दृष्टिकोण की खोज की थी। वह भक्ति मार्ग था । मानव इतिहास के इस दौर के लोग सबसे बुद्धिमान थे। मैंने पहले ही कहा है कि आध्यात्मिक दुनिया का महत्व बहुत अधिक है । फिर भी सापेक्ष दुनिया पूरी तरह से महत्त्वहीन नहीं है । जब सुदूर अतीत में मनुष्यों ने महसूस किया कि कर्म योग और ज्ञान योग उन्हें सच्ची प्रगति प्राप्त करने में मंदद नहीं करेंगे, तो उन्होंने तुंरत भक्ति योग को अपना लिया । 

उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति ही उनके लिए एकमात्र मार्ग है । मनुष्य आज अपने विकसित कर्म और ज्ञान योग के कारण और भी आगे बढ़ गया है। इस प्रकार अपने पूर्वजों की तुलना में वह भक्ति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता को अधिक तेज़ी से महसूस करेगा। यह कर्म और ज्ञान योग का उज्ज्वल पक्ष है। यानी ये दोनों योग भक्ति मार्ग को और मज़बूत करेंगे। 

समूह से भिन्न शब्द है: 

  • कर्म 

  • मदद 

  • साल 

  • तेज़ी 

Question 10:

दिए गए पद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

ताड़ों पर झूलते पतंग-दिन बचपन के; 

बीत रहे बुआ के विधवा दिन बचपन के ।

अम्मा की ऐनक पर बरसों की जमी धूल,

रक्खा रामायण पर गुड़हल का एक फूल ।

दोने से निकाल कर प्रसाद दिया मंगल का,

आँखों से प्यार लगा अब छलका तब छलका।

आँचल क्यों बार-बार आँखों तक जाता है ?

आँसू का खुशियों से यह कैसा नाता है ? 

कविता में कवि किन दिनों की याद कर रहा है ? 

  • अपने बचपन के 

  • प्रसाद मिलने के 

  • बुआ के घर के 

  • अम्मा के घर के 

Scroll to Top
Solve Simplification Qestions in 20 Secs NEET Answer Key Out IDBI Assistant Manager Admit Card Out Registration Starts for AFCAT 02/2025 Pisa Ki Minar Jhuki Hui Kyon Hai