Question 1:
कोयले की दलाली में मुँह काला’ - इस लोकोक्ति का अर्थ निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प दर्शाता है?
Question 2:
पाखण्डी के लिए उपयुक्त मुहावरा क्या होगा ?
Question 3:
'रश्मिरथी' के रचयिता कौन हैं?
Question 4:
प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे -
Question 5:
इकतीस में समास कौन-सा है?
Question 6:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें:
सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं सहिष्णुता और उदारता । प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता । अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है । आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते है। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुख होंहि दुखारी । तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ।।
कैसे मित्र विष से भरे घट के समान त्याज्य होते हैं?
Question 7:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें:
सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं सहिष्णुता और उदारता । प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता । अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है । आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते है। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुख होंहि दुखारी । तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ।।
‘विषवमन' शब्द कौन से समास का उदाहरण है?
Question 8:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें:
सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं सहिष्णुता और उदारता । प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता । अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोप- दर्शन और एक दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है । आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते है। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुख होंहि दुखारी । तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ।।
'पातक' शब्द का विलोम निम्नलिखित में से कौन सा शब्द है?
Question 9:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें:
सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं सहिष्णुता और उदारता । प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता । अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोप- दर्शन और एक दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है । आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते है। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुख होंहि दुखारी । तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ।।
मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए........ सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्व हैं। ( उपयुक्त शब्दों में वाक्य पूरा कीजिए । )
Question 10:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें:
सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं सहिष्णुता और उदारता । प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता । अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोप- दर्शन और एक दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है । आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते है। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुख होंहि दुखारी । तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ।।
किस कारण से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है ?