हिन्दी के महान साहित्यकार पद्मश्री रामदरश मिश्र का हाल ही में 102 वर्ष की आयु में निधन हो गया है| उनका जन्म 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर के डुमरी गाँव में हुआ था| उन्हें वर्ष 2011 में उनकी "आम के पत्ते" रचना के लिए व्यास सम्मान (Vyas Samman) से सम्मानित किया गया था| उन्हें 2015 में "आग की हंसी (कविता)" के लिए हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार (Hindi Sahitya Akademi Award) से सम्मानित किया गया था| उन्होनें 150 से अधिक किताबें लिखी है| काव्य : पथ के गीत, बैरंग - बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है ?, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (गजल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे- धीरे (गजल संग्रह)| उपन्यास : पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफ़र, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार|