भारत की कृषि निर्यात और आयात क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (JNPA) की 284.19 करोड़ रुपये की लागत वाली 'जेएनपीए में पीपीपी मोड पर निर्यात-आयात सह घरेलू कृषि वस्तु-आधारित प्रसंस्करण और भंडारण सुविधा के विकास' परियोजना को मंजूरी दे दी है| अब निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसके लिए भारत की पहली एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा (Integrated Agri-Export Facility) स्थापित होने जा रही है. यह सुविधा लॉजिस्टिक्स में अकुशलताओं को दूर करने के साथ ही निर्यात क्षमता में वृद्धि करेगी. JNPA बंदरगाह पर 67,422 वर्ग मीटर में फैली एक अत्याधुनिक कृषि सुविधा स्थापित करने के लिए तैयार है. यह अग्रणी सुविधा रसद में अक्षमताओं को दूर करेगी, कई हैंडलिंग को कम करेगी और कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाएगी|
सुविधा से बढ़ेगी निर्यात क्षमता
एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा से गैर-बासमती चावल, मक्का, मसाले, प्याज और गेहूं जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यात को लाभ होगा. जेएनपीए फ्रोजन मीट उत्पादों और अन्य समुद्री उत्पादों के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार है. ऐसे में नई सुविधा मुंबई से दूर के क्षेत्रों से मीट और समुद्री उत्पादों के निर्यातकों को भी सहायता प्रदान करेगी| विशेष रूप से छोटे निर्यातकों को बंदरगाह आधारित सुविधा से लाभ होगा, जिससे लॉजिस्टिक, कंटेनर बुकिंग, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और निर्यात संचालन में उनकी क्षमताओं में सुधार होगा. इस सुविधा से निर्यात क्षमता में वृद्धि होने का अनुमान है, जिसमें 1800 टन फ्रोजन स्टोर, 5800 टन कोल्ड स्टोर, अनाज और सूखे माल के लिए 12,000 टन वेयरहाउस क्षमता बढ़ सकती है|
किसानों को भी मिलेगी मदद
केंद्रीय बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि इससे न केवल कृषि निर्यात क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा, बल्कि किसानों और ग्रामीण समुदायों की भी सहायता की जाएगी. जेएनपीए में इस ऑल-इन-वन कृषि सुविधा के विकास से लॉजिस्टिक सुव्यवस्थित होगा. बर्बादी में कमी आने के साथ ही किसानों को कृषि उत्पादों के बेहतर मूल्य भी मिलेंगे|