UP Police Previous Year 8(सामान्य हिंदी)
‘सब कुछ जानने वाला’ वाक्यांश के लिए एक शब्द है
सब कुछ जानने वाला—’सर्वज’ जो कुछ न जानता हो- ‘अज्ञ’ बहुत अधिक जानने वाला- ‘बहुज्ञ’
‘उत्थान’ शब्द का विलोम होता है-
‘उत्थान’ शब्द का विलोम होता है- ‘पतन’।
‘देवता’ शब्द का पर्यायवाची शब्द नहीं है-
सुर, अमर, देव, विवुध, निर्जर, गीर्वाण इत्यादि ‘देवता’ के पर्यायवाची हैं, जबकि सुधारक देवता का पर्यायवाची शब्द नहीं है।
‘पत्र’ शब्द का अर्थ नहीं होता
पत्ता, पंख, चिट्ठी, इत्यदि पत्र के अर्थ हैं जबकि ‘लेख’, ‘पत्र’ का अर्थ नहीं है।
‘सदैव’ शब्द में सन्धि है-
वृद्धि संधि के अनुसार, जब अ/आ के बाद ए/ऐ आता है, तब दोनों के स्थान पर ऐ और अ/आ के बाद ओ/ओ आए तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है।
जैसे—सदा + एव = सदैव, महा + औषधि = महौषधि।
‘प्रत्येक’ शब्द में उपसर्ग है –
‘प्रत्येक’ शब्द में उपसर्ग है—प्रति। इसके अन्य उदाहरण हैं-प्रतिबंध, प्रतिलोम इत्यादि।
‘वैज्ञानिक’ शब्द में प्रत्यय लगा है-
‘वैज्ञानिक’ शब्द में प्रत्यय ‘इक’ लगा है-इसका विच्छेद है- विज्ञान + इक। प्रत्यय वे शब्द हैं, जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
‘अज्ञेय’ जी को किस कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है?
‘कितनी नावों में कितनी बार’ नामक कृति के लिए 1978 में अज्ञेय जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। अज्ञेय जी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-इत्यलम, भगनदूत, हरी
घास पर क्षण भर इत्यादि। ज्ञानपीठ न्यास द्वारा प्रदत्त भारतीय ज्ञान पीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार पहली बार 1965 में मलयालम लेखक जी०एस० कुरूप को दिया गया था।
‘उर्वशी’ के रचनाकार हैं
जयशंकर प्रसाद ने उर्वशी को चम्पू-काव्य के रूप में लिखा है। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कृत उर्वशी के लिए उन्हें 1972 में हिन्दी भाषा का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, हुंकार, धूप, इतिहास के आँसू, धुँआ इत्यादि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचनाएँ हैं। उर्वशी, कंकाल, तितली, आकाशदीप इत्यादि के रचनाकार जयशंकर प्रसाद हैं।
‘गोदान’ किसकी रचना है?
कथा सम्राट प्रेमचंद द्वारा रचित कृतियाँ हैं-गोदान, कर्मभूमि, गबन, निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रय तथा कायाकल्प इत्यादि। जैनेन्द्र की प्रमुख रचनाएँ हैं-नीलम देश की राजकन्या, अपना-अपना भाग्य, दो चिड़ियाँ, ध्रुव यात्रा, एक दिन इत्यादि। अज्ञेय की प्रमुख रचनाएँ-नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी, शेखर एक जीवनी इत्यादि। नागार्जुन की प्रमुख रचनाएँ हैं-रतिनाथ की चाची, बाबा बटेसरनाथ, दुखमोचन, वरूण के बेटे आदि।