UP Police Previous Year 7(हिंदी)

‘पुस्तक पढ़ी जाती है।’ में कौन-सा वाच्य है?

  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य
  • क्रियावाच्य
  • कर्तृवाच्य
कर्मवाच्य से संबंधित वाक्य में क्रिया, कर्म के अनुसार होती है। जबकि कर्तृवाच्य में क्रिया, कर्ता के अनुसार होती है।

निम्नलिखित में से अव्यय है-

  • और
  • गरीब
  • मोटा
  • प्राचीन
वह शब्द जो दो समान पदों, उपवाक्यों अथवा वाक्यों को जोड़ता है, समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाता है। जैसे—और।

हिन्दी में पूर्ण-विराम का चिह्न है-

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पूर्ण विराम का चिह्न ‘ | ‘ विस्मय बोधक चिह्न ‘!’ तथा प्रश्नवाचक चिह्न ‘?’ हैं।

‘दूध का धुला होना’ मुहावरे का अर्थ है-

  • निर्दोष होना
  • चोरी करना
  • पाप करना
  • दोषी होना
‘दूध का धुला होना’ मुहावरे का अर्थ है- ‘निर्दोष होना।’

‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का सही अर्थ है-

  • शक्ति सम्पन्न आदमी अपना काम बना लेता है।
  • बुद्धि सम्पन्न आदमी चालाक होता है
  • बुद्धि सम्पन्न आदमी अपना काम बना लेता है।
  • शक्तिशाली आदमी मूर्ख होता है।
‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का सही अर्थ होता है-शक्ति सम्पन्न आदमी अपना काम बना लेता है।

वीर रस का स्थायी भाव है-

  • उत्साह
  • विस्मय
  • भय
  • क्रोध
दोहा के चार चरण होते हैं। दोहा के पहले व तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे व चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती है। अर्द्धसम छंद के अंतर्गत दोहा, सोरठ, बरवें आदि आते हैं।

‘दोहा’ के प्रथम चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?

  • 13
  • 14
  • 12
  • 11
दोहा के चार चरण होते हैं। दोहा के पहले व तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे व चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती है। अर्द्धसम छंद के अंतर्गत दोहा, सोरठ, बरवें आदि आते हैं।

निम्नलिखित में कौन-सा शब्दालंकार है?

  • यमक
  • उत्रेक्षा
  • रूपक
  • उपमा
अलंकार के मुख्यतः तीन भेद हैं-शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार। शब्दालंकार के अंतर्गत अनुप्रास, वक्रोक्ति, यमक एवं श्लेष अलंकार आते हैं। अर्थालंकार के अन्तर्गत रूपक, उत्प्रेक्षा एवं उपमा अलंकार आते हैं।

निम्न में से तालव्य ध्वनि है-

‘श’ तालव्य व्यंजन का उच्चारण स्थान तालु है। ‘क’ कंठ्य व्यंजन, ‘ट’ मूर्धन्य व्यंजन एवं ‘प’ ओष्ठय व्यंजन के अन्तर्गत है।

निम्न में से कौन-सा वर्ण अघोष है?

अघोष वर्णों के उच्चारण में हवा के गले से निकलने पर स्वरतंत्रियों में कंपन नहीं होता। सभी व्यंजन वर्गों के पहले व दूसरे व्यंजन को अघोष और तीसरे, चौथे एवं पाँचवें व्यंजन को सघोष की श्रेणी में रखते हैं। उदाहरण के लिए-क, ख, च, छ, ट, ठ इत्यादि अघोष व्यंजन अधोष तथा ग, घ, ङ, ज, झ, ज इत्यादि सघोष व्यंजन हैं।
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