UP Police Previous Year 7(हिंदी)
निम्नलिखित में तद्भव शब्द है-
अचरज का तत्सम रूप आश्चर्य होता है। अंगरक्षा, अंधेरा और आस जैसे तद्भव शब्दों का तत्सम शब्द क्रमशः अंगरक्षक, अंधकार और आशा होते हैं।
‘शीत’ का विलोम होगा-
शीत, उष्ण का विलोम शब्द है। कृष्ण का विलोम शुक्ल अथवा श्वेत तथा ठण्डा, गर्म का विलोम होता है।
‘कर’ का अर्थ नहीं होता है-
सूर्य के पर्यायवाची शब्द हैं-सूरज, मार्तंड, दिवाकर, भानु, रवि, प्रभाकर इत्यादि। किरण के पयार्यवाची शब्द हैं-मयूख, मरीचि, अंशु, रश्मि, कर इत्यादि। हाथ का पर्यायवाची है-पाणि, हस्त, कर इत्यादि। टैक्स का पर्यायवाची शब्द है-शुल्क, महसूल, कर इत्यादि।
‘जो कठिनाई से मिलता है’ के लिए एक शब्द होगा-
‘जो कठिनाई से मिलता है’ के लिए एक शब्द होगा-
दुर्लभ। ‘दुर्गम’ का अर्थ है, जहाँ जाना कठिन हो। अगम्य का अर्थ है जिसके अंदर या पास न पहुँचा जा सके।
‘अनिल-अनल’ का सही अर्थ देने वाला शब्द युग्म है-
अनिल एवं अनल का सही अर्थ क्रमशः वायु एवं अग्नि हैं। वायु के अन्य पर्यायवाची हैं-पवन, हवा, समीर, अनिल आदि। अगिन के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं-धूमकेतु, अनल, हुताशन, पावक, आग अत्यादि।
‘पराजय’ में उपसर्ग है-
‘पराजय’ शब्द में प्रयुक्त में उपसर्ग हैं- ‘परा’। किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करने वाले शब्दांश या अव्यय को उपसर्ग कहते हैं
‘लिखावट’ में प्रत्यय है-
लिखावट शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय ‘आवट’ है। धातु के मूल के अन्त में अ, अन्त, आव, आवा, आस, आवना, आवनी, आवट, आहत इत्यादि प्रत्ययों को जोड़कर, भाववाचक कृदन्त संज्ञाओं की रचना होती है।
महोत्सव का सन्धि-विच्छेद है-
महा + उत्सव
‘मैंने घर जाना था।’ वाक्य में अशुद्ध अंश है-
‘मैंने घर जाना था।’ वाक्य में मैंने के स्थान पर ‘मुझे’ का प्रयोग होना चाहिए। अतः शुद्ध वाक्य इस प्रकार होगा—मुझे घर जाना था।
‘देशभक्ति’ में समास है-
तत्पुरुष समास की विशेषता है कि इसमें पहला पद गौण एवं अंतिम पद प्रधान होता है। इसमें प्राय: दोनों पर संज्ञा अथवा पहला पद संज्ञा और दूसरा पद विशेषण होता है। उदाहरण के लिए-भोजनालय =भोजन के लिए आलय, राष्ट्र भक्ति = राष्ट्र के लिए भक्ति इत्यादि।