Up Police Previous Year 11(सामान्य हिन्दी)

मुहावरे अपना सामान्य अर्थ न देकर ……… अर्थ प्रकट करते हैं।

  • विशेष
  • असामान्य
  • पर्याय
  • विपरीत
मुहावरे और लोकोक्तियाँ प्रायः सामान्य अर्थ न देकर विशेष अर्थ प्रकट करते हैं। जैसे-अध जल गगरी छलकत जाए का अर्थ कम ज्ञानी व्यक्ति दिखावा अधिक करता है होता है।

‘एक पंथ दो काज’ लोकोक्ति का अर्थ है-

  • एक ही काम से दो लाभ होना।
  • लाभ ही लाभ होना।
  • एक काज होना।
  • एक काम से चार लाभ होना।
‘एक पंथ दो काज’ लोकोक्ति का अभिप्राय एक ही काम से दो लाभ होना, होता है।

हास्य रस का स्थायी भाव है-

  • हास
  • वीभत्स
  • रति
  • रौद्र
हास्य रस का स्थायी भाव ‘हास’ है। रोद्र तथा वीभत्स रस के स्थायी भाव क्रोध, घृणा, जुगुप्सा है। शृंगार रस का स्थायी भाव रति है। करुण रस का स्थायी भाव शोक तथा वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है।

कुंडलियाँ छन्द में कितने चरण होते हैं?

  • छह
  • तीन
  • दस
  • चार
कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के 6 चरण होते हैं तथा प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती है, अर्थात् इसके पहले दो चरण दोहा तथा शेष चार चरण रोला से बने होते हैं जबकि दोहा के प्रथम व तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ तथा द्वितीय व चतुर्थ में चरण 11-11 मात्राएँ होती हैं।

वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति किस अलंकार में होती है?

  • अनुप्रास अलंकार
  • श्लेष अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उपमा अलंकार
जिस अलंकार में वर्णों की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है। श्लेष का अर्थ चिपका हुआ अर्थात अनेक शब्दों में दो अथवा इससे अधिक अर्थो जुड़ा होना ही अलंकार है। जहाँ समान गुणधर्मों में तुलना होती है वहाँ उपमा तथा जहाँ उपमेय पर अपमान का आरोप होता है वहाँ रूपक अलंकार होता है।

शब्द की सबसे छोटी इकाई क्या कहलाती है-

  • स्वर
  • अयोगवाह
  • व्यंजन
  • वर्ण
शब्द की सबसे छोटी इकाई वर्ण होती है तथा बिना अवरोध के उच्चारित वर्ण स्वर कहलाते है। व्यंजन उच्चरित स्वरों की सहायता करते है। ऐसे वर्ण जिनमें स्वर और व्यंजन दोनों के गुण पाये जाते है, उन्हें आयोगवाह कहते है।

‘तपस्वी’ का स्त्रीलिंग होगा-

  • तपस्विनी
  • तपस्या
  • तापसी
  • तपसी
‘तपस्वी का स्त्रीलिंग’ तपस्विनीं होता है। स्त्री जाति का बोध कराने वाले लिंग को स्त्रीलिंग कहते है।

‘आचार्या’ का पुल्लिंग शब्द होता है-

  • आचार्य
  • आर्य
  • शिक्षक
  • गुरु
‘आचार्या’ का पुल्लिग ‘आचार्य’ होता है। जिस संज्ञा के शब्दों से पुरुष जाति का पता चलता है, उसे पुल्लिग कहते है। जैसे-पिता, राजा, घोड़ा आदि।

‘पुस्तक रखी है।’ वाक्य में वचन है-

  • एकवचन
  • त्रिवचन
  • द्विवचन
  • बहुवचन
मानव विज्ञान में वचन एक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया आदि की व्याकरण सम्बन्धी श्रेणी है जो इनकी संख्या की सूची देती है।

‘शिक्षक ने पाठ पढ़ाया।’ किस कारक का प्रयोग है?

  • कर्ता कारक
  • अपादान कारक
  • कर्म कारक
  • करण कारक
किसी वाक्य मुहावरा या वाक्यांश में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध रखना ‘कारक’ कहलाता है। इस वाक्य में कर्ता कारक का प्रयोग होगा।
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