भारत ने सुरक्षा परिषद में सुधारों का विरोध करने वाले यूनाईटिंग फॉर कन्सेंसस (यूएफसी) मॉडल की आलोचना की है। भारत ने कहा कि इस मॉडल में अफ्रीका और ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व न होने और स्थाई सीटों में बदलाव न करने की नीति उचित नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यह मॉडल अधिकांश सदस्य देशों के मत के विरुद्ध है, जो सुरक्षा परिषद की स्थाई और अस्थाई सीटों में विस्तार चाहते हैं। सुरक्षा परिषद में सुधारों के बारे में अन्तर्सरकारी संवाद बैठक में इटली द्वारा प्रस्तुत मॉडल पर उन्होंने कहा कि यूएफसी में 12 देश और दो पर्यवेक्षक देश हैं और उनका दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देशों के विपरीत है। सुश्री कम्बोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थाई सीटों में अफ्रीका और ग्लोबल साउथ का समुचित प्रतिनिधित्व एक निर्विवाद लक्ष्य है। यूएफसी में अर्जेंटीना, कनाडा, कोलंबिया, कोस्टा रिका, इटली, माल्टा, मैक्सिको, पाकिस्तान, कोरिया गणराज्य, सैन मारिनो, स्पेन और तुर्किये शामिल हैं। स्थायी सदस्य चीन और इंडोनेशिया पर्यवेक्षक के रूप में समूह में भाग ले रहे हैं। यूएफसी समूह सुरक्षा परिषद में नए स्थायी सदस्य बनाए जाने का विरोध करता है। यूएफसी प्रारूप में 26 सीटों वाली एक सुरक्षा परिषद शामिल है, जिसमें केवल अस्थायी, निर्वाचित सदस्यों की वृद्धि होती है। इसमें तत्काल पुनः चुनाव की संभावनाओं के साथ नौ नयी दीर्घकालिक सीटें बनाने का प्रस्ताव है।