Up Police Previous Year 10(सामान्य हिन्दी)
करुण रस का स्थायी भाव होगा-
शोक सही उत्तर होगा। क्योंकि शोक ही करुण रस का स्थायी भाव है। क्रोध, उत्साह एवं विस्मय स्थाई भाव है रौद्र रस, वीर रस एवं अद्भुत रस का।
वर्णों के समुदाय को क्या कहते हैं?
वर्णों के समुदाय वर्णमाला कहलाते है। हिन्दी वर्णमाला में 52 वर्ण हैं वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों के मेल से वाक्य बनते है।
निम्नलिखित शब्दों में से स्त्रीलिंग को पहचानिए।
संसार, गौरव, समुदाय एवं अश्विनी में संसार, गौरव एवं समुदाय पुल्लिंग है जबकि अश्विनी स्त्रीलिंग है।
निम्नलिखित में से कौन-सा जोड़ा नहीं है?
उपर्युक्त विकल्पों में बेटी-बेटियाँ, श्रोता-श्रोतागण, एवं वधु-वधुएँ सही बहुवचन है जबकि डिविया-डिवये गलत बहुवचन है यहाँ डिबिया का बहुवचन डिबियाँ होगा।
निम्नलिखित वाक्यों में से सम्बन्ध कारक वाले वाक्य को पहचानिए।
उपर्युक्त वाक्य विकलें में वाक्य राधा का कुत्ता बहुत तेज दौड़ता है।सम्बन्धकारक हैं संबंधकारक किसी क्रिया के साथ संबंध नहीं बताता, बल्कि संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध-बताता है।
निम्नलिखित कवियों में से गांधी जी ने किस कवि को राष्ट्रकवि का सम्मान दिया?
निम्न कवियों में से गांधी जी ने राष्ट्रकवि का सम्मान मैथिलीशरण गुप्त को दिया था। गुप्त जी ने ‘भारत भारती’ (1913) की रचना की जिस पर ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबंध लगा दिया।
‘देवदास’ उपन्यास पर तीन बार फिल्म बन चुकी है। उपन्यासकार का क्या नाम है?
शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘देवदास’ उपन्यास की रचना की थी। उनका अन्य नाम शरत्चंद्र चटर्जी भी था। उन्होंने देवदास के अलावा-श्रीकांता, चरित्रहीन, परिणीता, पोथेरदाबी आदि हैं कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा ‘जगतारिनी’ अवार्ड प्रदान किया गया।
‘कामायनी’ के रचयिता कौन है?
‘कामायनी’ जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित रचना है। झरना, आँसू, कहर आदि की इनकी रचनायें प्रसाद जी ने नाटकों ने नाटकों की रचना भी की थी।
निराला की प्रमुख रचनाएँ-राम की शक्तिपूजा, अनामिका, परिमल, जूही की कली, सरोज स्मृति आदि।
महादेवी वर्मा-नीहार, रश्मि नीरजा, यामा, अतीत के चलचित्र स्मृति की रेखायें आदि।
सुमित्रानंदन पंत-युगांत, पल्लव, गुंजन, वीणा आदि सुमित्रानंदन की रचनाएँ हैं।
कौन-सी रचना तुलसीदास जी की नहीं है?
‘यामा’ तुलसीदासजी की नहीं महादेवी वर्मा की रचना है। अन्य रचनायें तुलसी दास जी की है। इसके अलावा, रामलला-नहछू विनयपत्रिका, कवितावली, जानकी मंगल आदि अनेक रचनाओं के रचयिता तुलसीदास जी है।